प्रवीण मुंडा
रांची : आज से 16 वर्ष पहले एक अनोखी कंपनी की स्थापना की गयी थी. नाम था : आदिवासी पंच बचत एवं निवेश लिमिटेड (अपबेन). यह कंपनी आदिवासियों को उद्यमशीलता से जोड़ने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए बनी थी.
16 वर्षो में इस कंपनी के जरिये सैकड़ों आदिवासी उद्यमशीलता और व्यवसाय के लिए प्रशिक्षित हुए. महत्वपूर्ण बात यह है कि बाजार की प्रतिस्पर्धा और मुनाफा के बीच यह कंपनी सहकारिता और एनजीओ जैसे गुणों को साथ लेकर चली. कंपनी की स्थापना के पीछे मूल रूप से जिस शख्स का हाथ रहा, उनका नाम है डोमिनिक बाड़ा.
कंपनी के चेयरमैन व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के मेंबर. 1997 में इस कंपनी की स्थापना हुई. विकास मैत्री में इसका कार्यालय खुला. प्रारंभिक पूंजी लगभग पांच लाख रुपये से. इस कंपनी के शेयर होल्डर थे दूर–दराज के गांवों के बाशिंदे. एक शेयर धारक अधिकतम सौ शेयर ही खरीद सकता है. फिलहाल पांच हजार शेयर धारक हैं.
कंपनी का काम था डॉयरेक्ट सेलिंग का. गुजरात की मिलों से साड़ी मंगवा कर उसकी डायरेक्ट सेलिंग की जाती थी. इसके अलावा गांवों में सोलर लैंप, ट्रांजिस्टर जैसी चीजों की बिक्री की जाती है. ये चीजें कम कीमत पर उपलब्ध करायी जाती हैं. बड़ी संख्या में शेयर होल्डर ही उत्पादों की बिक्री के काम में लगे. कई बार घाटा हुआ. कंपनी ने अच्छा समय भी देखा. मंदी का दौर भी झेला. तमाम बाधाओं के बावजूद कंपनी अपने मूल मकसद (उद्यमशीलता प्रशिक्षण) को जारी रखी हुई है.