राजधानी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकारी मंडल की बैठक आहूत है़ संघ देश के सर्वाधिक पुराने संगठन में से एक है़ संघ के प्रति समर्पित और निष्ठावान स्वयं सेवकों का जमावड़ा रांची में होना है़. सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध और परिष्कृत करने के लिए झारखंड की पृष्ठभूमि में संघ का योगदान महत्वपूर्ण है़. झारखंड संघ का प्रमुख कार्यक्षेत्र रहा है़. झारखंड के दुर्गम इलाके में भी संघ के स्वयं सेवक कार्य कर रहे है़ं प्रभात खबर उन संस्थाओं के कामकाज को किस्तों में छाप रहा है़.
रांची: आरोग्य फाउंडेशन आॅफ इंडिया व एकल अभियान की ओर से राज्य की ग्रामीण महिलाओं को स्वस्थ बनाने को लेकर कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसके तहत ग्रामीण महिलाओं में खून की कमी की जांच की जाती है, साथ ही उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाता है.
इस काम के लिए ग्रामीण स्तर पर आरोग्य संयोजिका व आरोग्य सेविका का चयन किया गया है. इनके माध्यम से गर्भवती महिलाओं के खानपान की जानकारी भी दी जाती है. जांच में जिन महिलाओं में खून की कमी पायी जाती है, उन्हें आयरन की गोली दी जाती है. रांची के कार्यकर्ता चिकित्सा सहायता केंद्र के आनंदेश्वर ने बताया कि वर्ततान में लोहरदगा, सिमडेगा, बसिया एवं सिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाया जा रहा है. शीघ्र ही गुमला एवं चाईबासा के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को इस अभियान से जोड़ा जायेगा. आरोग्य फाउंडेशन देश के विभिन्न राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में यह अभियान चलाता है. राजधानी रांची में मॉनिटरिंग का कार्य किया जाता है.
स्वास्थ्य के साथ स्वावलंबी बनाता है फाउंडेशन
आरोग्य फाउंडेशन महिलाओं को स्वस्थ करने के साथ उन्हें स्वावलंबी बनाने का कार्य भी करता है. महिलाओं का समूह बना कर उन्हें ब्यूटीशियन, सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जाता है. महिलाओं को कुशल लोग प्रशिक्षण देते हैं. इस कार्यक्रम से जुड़ कर करीब 300 से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है.
कार्यकर्ताओं के इलाज की सुविधा
आरोग्य फाउंडेशन से जुड़े कार्यकर्ता के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी फाउंडेशन की है. इसके लिए नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन (एनएमओ) को जोड़ा गया है. अगर कोई कार्यकर्ता बीमार पड़ता है, तो वह रांची स्थित आदित्य प्रकाश जालान स्मृति कार्यकर्ता चिकित्सा केंद्र में चिकित्सीय परामर्श ले सकता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर महिलाओं के बीच स्वास्थ्य जागरूकता जरूरी है़ हमारी कोशिश है कि महिलाएं खून की कमी से ग्रसित नहीं हों. स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के साथ हम उन्हें स्वावलंबी भी बना रहे है़ं
– आनंदेश्वर, स्वास्थ्य कार्यकर्ता