रांची: एशिया के पहले वानिकी स्नातक की डिग्री देने वाले बीएयू के वानिकी संकाय से पास करने वाले विद्यार्थियों को नौकरी नहीं मिल रही है. 1984 के बाद से इनकी नियुक्ति नहीं हो रही है. इस कारण वानिकी में स्नातक करने की रुझान घटती जा रही है. जितनी सीटें रखी गयी हैं, उतने विद्यार्थी भी एडमिशन नहीं ले रहे हैं.
एक-एक विद्यार्थी पर सरकार चार से पांच लाख रुपये खर्च कर रही है. राज्य सरकार ने पूर्व में तय नियुक्ति नियमावली में इन्हें आरक्षण देने का प्रावधान किया था. नयी नियुक्ति नियमावली सरकार ने तैयार कर ली है. कैबिनेट से अनुमोदन की तैयारी चल रही है. इसके बाद राज्य में रेंजर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. बीएयू से वानिकी में स्नातक करने वाले विद्यार्थियों के एसोसिएशन (झारखंड फॉरेस्ट्री ग्रेजुएट एसोसिएशन) ने रेंजर नियुक्ति नियमावली में झारखंड से वानिकी में स्नातक करने वाले विद्यार्थियों को 50 फीसदी आरक्षण देने की मांग की है.
सीट 26, एडिमशन लेते हैं 10-12
कॉलेज में वानिकी स्नातक में एडमिशन के लिए 26 सीट निर्धारित है. इसमें 22 सीट झारखंड तथा चार सीट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कोटे से तय है. हर बार 10 से 12 विद्यार्थी ही एडमिशन लेते हैं. नौकरी नहीं मिलने के कारण वानिकी में स्नातक करने के प्रति कोई रुझान नहीं है.
जम्मू-कश्मीर में शत प्रतिशत आरक्षण
जम्मू-कश्मीर में वहां के वानिकी महाविद्यालय से पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों को शत प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है. कर्नाटक में 75 तथा ओड़िशा और केरल में 50 फीसदी आरक्षण दिया जाता है. अन्य राज्यों में भी आरक्षण का प्रावधान है. झारखंड का होने के कारण इन लोगों को दूसरे राज्य में लाभ नहीं मिल पाता है.