रांची: स्वामी अग्निवेश मानते हैं कि आदिवासी धार्मिकता की पृथक पहचान है़ं वे न हिंदू हैं, न मुसलमान और न ही ईसाई़ वे कहते हैं कि इन्हें अलग धर्म कोड मिलना चाहिए. आदिवासियों को भी इच्छानुसार धर्म चुनने का अधिकार है, लेकिन यह किसी प्रलोभन के कारण नहीं होना चाहिए. अनुसूचित क्षेत्रों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के खिलाफ रांची में आयोजित एक कार्यक्रम के सिलसिले में स्वामी अग्निवेश आये हुए हैं. प्रभात खबर ने आदिवासियों से जुड़े कई विषयों पर उनसे बात की.
दुनिया को प्रकृति पूजा की शरण में आना होगा
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि दुनिया को बचाना है, तो लोगों को प्रकृति पूजा की शरण में आना होगा. पर्यावरण को उपभोक्तावाद से खतरा है. आदिवासियों के डीएनए में उपभोक्तावादी संस्कृति नहीं है. इस संस्कृति को दुनिया भर में फैलाने की आवश्यकता है. वह कुछ दिनों तक अमेरिका में भी रहे, जहां उन्होंने वहां के आदिवासियों को भी प्रकृति पूजा करते और सहज– सरल जीवन बिताते देखा है़.
आबादी के घालमेल से समस्या
अनुसूचित क्षेत्रों में त्रिस्तरीय पंचायत और नगर निगम नहीं होने चाहिए. यहां के शहरी क्षेत्रों में आबादी का घालमेल इस तरह कर दिया गया है कि अब लगता है कि जनता यही चाहती है. आदिवासियों के बीच से भी कुछ लोगों को इसके समर्थन में शामिल कर लिया गया है.
सही नेतृत्व नहीं मिला
श्री अग्निवेश ने कहा कि आदिवासियों को अब तक सही नेतृत्व नहीं मिला है. आदिवासी सांसद, विधायक, गैर आदिवासी नेतृत्व के सामने मूक हाे जाते हैं. आदिवासियों से जुड़े सवाल मजबूती से नहीं उठा पाते. आदिवासी क्षेत्रों के शासन– प्रशासन में गैर आदिवासियों का बोलबाला है.