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मेडिकल रिपोर्ट की स्कूट्रनी करे सरकार और सीबीआइ

रांची: इलाज के नाम पर कैदियों के अस्पताल में रहने से संबंधित मामले पर गुरुवार को झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस एनएन तिवारी और जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने इस मामले में सीबीआइ और सरकार को मेडिकल रिपोर्ट की स्कूट्रनी करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने दोनों ऑथोरिटी को निर्देश दिया है […]

रांची: इलाज के नाम पर कैदियों के अस्पताल में रहने से संबंधित मामले पर गुरुवार को झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस एनएन तिवारी और जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने इस मामले में सीबीआइ और सरकार को मेडिकल रिपोर्ट की स्कूट्रनी करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने दोनों ऑथोरिटी को निर्देश दिया है कि इस संबंध में लोक अभियोजक को निर्देश जारी किया जाये.

वहीं दूसरी तरफ वैसे कैदियों को 30 नवंबर तक ट्रायल कोर्ट में रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया है, जिनका इलाज अस्पताल में बाहर चल रहा है. कोर्ट ने तत्कालीन मेयर रमा खलखो के मामले में रिम्स निदेशक को मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.

इसके लिए 26 नवंबर का समय दिया गया है. सुनवाई के दौरान बताया गया कि सेना अफसरों की व्यस्तता की वजह से मेडिकल बोर्ड रिपोर्ट तैयार नहीं कर पायी है. रिम्स की ओर से बताया गया कि यहां पर 14 कॉटेज हैं. सुरक्षा कारणों और दूसरे मरीजों को ध्यान में रख कर कैदियों को जनरल वार्ड की जगह कॉटेज में रखा जाता है. घटना के समय चार कैदियों का रिम्स में इलाज चल रहा था. इसमें से एक विधायक सावना लकड़ा को मेदांता अस्पताल रेफर किया गया था. वहीं दो अन्य कैदी निरंजन शर्मा, सुधीर साहू को जमानत मिल गयी है. रमा खलखो को वापस जेल भेजा गया है.

हाइकोर्ट ने कैदियों के इलाज के संबंध में प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. अधिवक्ता नीलेश कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए रिम्स प्रबंधन, जेल सुपरीटेंडेंट से जवाब मांगा था.

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