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साढ़े सात करोड़ रुपये जमा करने का कोर्ट ने दिया निर्देश

रांची: बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसी) के अधीन राज्य स्थित पांच कंपनियों के बकाये भुगतान नहीं करने से संबंधित मामले में झारखंड हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस अमिताभ गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामले में बीएसआइडीसी के प्रबंध निदेशक के वेतन पर रोक लगाने का निर्देश […]

रांची: बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसी) के अधीन राज्य स्थित पांच कंपनियों के बकाये भुगतान नहीं करने से संबंधित मामले में झारखंड हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस अमिताभ गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामले में बीएसआइडीसी के प्रबंध निदेशक के वेतन पर रोक लगाने का निर्देश दिया है. वहीं दूसरी तरफ कामगारों के बकाये भुगतान को लेकर 21 नवंबर तक साढ़े सात करोड़ रुपये हाइकोर्ट में जमा करने का भी निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि 29 अक्तूबर को अदालत ने बीएसआइडीसी को बकाये राशि भुगतान के लिए 75 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था. जरूरत पड़े, तो कंपनियों को बेच कर राशि का भुगतान किया जाये. इसके बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया है. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 22 नवंबर तक स्थगित करते हुए बीएसआइडीसी को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया.

कंपनियों को नीलाम करने के लिए टेंडर निकाला गया : बीएसआइडीसी की ओर से बताया कि झारखंड स्थित हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी, नामकुम, इलेक्ट्रिक इक्वीपमेंट फैक्टरी टाटीसिल्वे, स्वर्णरेखा वाच फैक्टरी, नामकुम, कॉस्ट आयरन फैक्टरी, नामकुम और सुपर फास्फेट फैक्टरी, सिंदरी की परिसंपत्तियों की नीलामी को लेकर सेल नोटिस जारी किया गया है. इसके पहले भी दो बार नोटिस निकाला गया था, लेकिन किसी ने आवेदन नहीं दिया. यह भी कहा गया कि 25 अक्तूबर को दो करोड़ रुपये जमा कर दिये जायेंगे. वहीं 21 नवंबर तक साढ़े पांच करोड़ रुपये जमा करा दिये जायेंगे.

21 वर्ष से कर्मियों का बकाया 105 करोड़ : हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी नामकुम, इलेक्ट्रिक इक्वीपमेंट फैक्टरी टाटीसिलवे, स्वर्णरेखा वॉच फैक्टरी, कॉस्ट आयरन फैक्टरी नामकुम और सुपर फास्फेट फैक्टरी (सिंदरी) के 1263 कर्मियों के बकाये भुगतान को लेकर जनहित याचिका दायर की गयी है. कहा गया है कि वर्ष 1993 से 31 अगस्त 2012 तक कर्मियों का 105 करोड़ रुपये बकाया है. वेतन की आस में एक सौ से अधिक कामगारों की मौत हो चुकी है.

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