रांची: गोलमुरी थाना, जमशेदपुर से गायब दिलेश्वर महतो मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआइ को जांच कर छह सप्ताह में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने को कहा है. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिवर्टी (पीयूसीएल) की पहल पर दिलेश्वर की पत्नी सेफाली महतो ने सर्वोच्च न्यायालय में हैबियस कॉरपस का केस कर रखा है. तीन […]
रांची: गोलमुरी थाना, जमशेदपुर से गायब दिलेश्वर महतो मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआइ को जांच कर छह सप्ताह में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने को कहा है. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिवर्टी (पीयूसीएल) की पहल पर दिलेश्वर की पत्नी सेफाली महतो ने सर्वोच्च न्यायालय में हैबियस कॉरपस का केस कर रखा है.
तीन राज्यों से संबंधित इस मामले में मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद सेफाली को न्याय पाने की उम्मीद जगी है. सेफाली अपने पति दिलेश्वर की तलाश 2010 से कर रही है. पश्चिम बंगाल मिदनापुर के झाड़ग्राम के दिलेश्वर गोवा में काम करते थे, जिन्हें जमशेदपुर पुलिस ने गोलमुरी थाना कांड 30/2010 में गोवा से पूछताछ के लिए 24 जुलाई 2010 को उठाया था. उसके बाद से दिलेश्वर का कोई पता नहीं चल सका है.
घटना चक्र : इस घटना क्रम की शुरुआत तब हुई, जब सेफाली का अपने पति दिलेश्वर से फोन पर संपर्क नहीं हो पाया. उसने जब पति को ढूंढने के लिए गोवा में संपर्क किया, जहां वह काम करता था, तो पता चला कि उसे जमशेदपुर पुलिस ले गयी है.
सेफाली जमशेदपुर स्थित गोलमुरी थाना पहुंची, लेकिन वहां से उसे टरका दिया गया. उसके बाद वह पीयूसीएल के संपर्क में आयी. पीयूसीएल के प्रयास से मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में आया. झारखंड उच्च न्यायालय में सेफाली द्वारा हैबियस कॉरपस का केस दायर किया गया, जहां कोर्ट ने झारखंड पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया और जमशेदपुर एसपी को सशरीर कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब देने को कहा, लेकिन पुलिस द्वारा यह बताने पर कि दिलेश्वर को निजी मुचलके पर थाने से छोड़ दिया गया था, कोर्ट ने मामले को हैबियत कॉरपस के लायक नहीं माना. उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गयी, जहां सुनवाई के बाद मामला सीबीआइ को सौंपा गया.