रांची: सीआइडी जांच में साबित हो गया है कि वर्द्धमान-हटिया ट्रेन से विस्फोटक बरामदगी के मामले में इंतेजार अली निर्दोष है. पुलिस की झूठ के कारण इंतेजार को 57 दिनों तक जेल में गुजारना पड़ा. मुखबिर के कहने पर पुलिस अफसरों ने इंतेजार को आतंकी ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ा था. पहले दिन से ही पुलिस एक के बाद एक झूठ गढ़ती रही.
20 अगस्त की शाम गिरफ्तारी के तुरंत यह खबर पुलिस ने फैलायी कि इंतेजार के पास से विस्फोटक भरा बैग मिला है, जिसमें 500 ग्राम आरडीएक्स है. पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने तो आरडीएक्स बरामदगी की सूचना गृह मंत्रालय तक को दे दी. हालांकि दूसरे दिन स्पष्ट किया कि बैग से बरामद कथित विस्फोटक में आरडीएक्स नहीं है. इंतेजार की गिरफ्तारी की सूचना नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) को भी दी गयी.
गत 22 अगस्त को एनआइए की टीम रांची आयी. जांच में टीम के सदस्यों को भी इंतेजार के आतंकी होने पर संदेह हो गया और एनआइए ने जांच से खुद को अलग कर लिया. 23 अगस्त से मीडिया में इंतेजार के बेकसूर होने को लेकर खबरें आने लगी, लेकिन पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया. उसे जेल भेज दिया. पुलिस भी इस बात को जान गयी था कि इंतेजार बेकसूर है, लेकिन पुलिस के कुछ अधिकारियों ने उसे फंसाने के लिए प्राथमिकी और अरेस्ट मेमो में गलत तथ्य दर्ज किये. कथित विस्फोटक भरे बैग की बरामदगी ट्रेन की बोगी में सीट के नीचे से हुई थी, लेकिन पुलिस ने बैग की बरामदगी उसके कंधे से दिखाया. आरेस्ट मेमो व जब्ती सूची में पुलिस ने जिन दो लोगों शिवचरण लोहरा और राजेश्वर राम को स्वतंत्र गवाह बनाया,जो जांच में पुलिस के ही आदमी निकले. शिवचरण लोहरा सिल्ली थाने का चौकीदार, जबकि राजेश्वर राम अनगड़ा थाने का चालक निकला.सुपरविजन में भी नामकुम के इंस्पेक्टर, सिल्ली व अनगड़ा थानेदार ने दोनों को स्वतंत्र गवाह ही बताया.
रेल डीआइजी के एक पत्र के मुताबिक उन्हें संदेह है कि पुलिस पदाधिकारियों ने निर्दोष व्यक्ति को फंसाने के लिए जब्ती सूची में झूठ लिखा. रेल डीआइजी के पत्र से यह भी स्पष्ट है कि जीआरपी पुलिस की जांच में ही इंतेजार अली निर्दोष पाये गये थे, लेकिन इसी दौरान सरकार ने सीआइडी जांच का आदेश जारी कर दिया. 15 सितंबर को सरकार ने सीआइडी जांच का आदेश जारी किया. सीआइडी ने जांच कर रिपोर्ट देने में 28 दिन (सीआइडी ने 13 अक्तूबर को कोर्ट में केस डायरी भेजी) लगा दिये. दरअसर, इंतेजार अली पुलिस विभाग के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गये थे. यही कारण है कि पुलिस के अफसरों ने इंतेजार को निर्दोष पाने के बाद भी अपनी तरफ से कोर्ट को यह लिख कर नहीं दिया कि उसके खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले.