मांडर: विद्युत ट्रांसमिशन लाइन का टावर खड़ा करने के दौरान अधिगृहीत जमीन व बरबाद फसल का उचित मुआवजा नहीं मिलने से नाराज लोयो गांव के लोग गोलबंद होने लगे हैं.
गुस्साये ग्रामीणों ने सोमवार को गांव में मुआवजे का चेक वितरण करने आये पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के एक कनीय अभियंता व कार्य करा रही केएसी कंपनी के एक कर्मचारी सहित दो चालकों को पंचायत भवन में तीन घंटे तक बंधक बनाये रखा़ ग्रामीणों का कहना था कि यहां टावर खड़ा करने के दौरान गांव के लगभग सौ लोगों की जमीन व फसल बरबाद हुई है़.
कार्य शुरू होने के दौरान गांव में आये अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि फाउडेंशन व वायरिंग के दौरान जिनकी जमीन ली जायेगी और जिनकीफसल का नुकसान होगा, उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जायेगा, लेकिन अब जब कार्य पूरा होने को है, तब उन्हें औने पौने में निबटाने का प्रयास किया जा रहा है़ ग्रामीणों के अनुसार, टावर में जब वायरिंग का कार्य हो रहा था़, तो प्रभावित किसानों के खेतों में अदरक, बीन, मटर, बैगन व फुलगोभी की फसल लगी हुई थी.
बाजार कीमत के अनुसार किसी भी किसान की फसल का मुआवजा पांच हजार से नीचे नहीं होगा, लेकिन सोमवार को उन्हें मात्र 1200 व 1500 रुपये का चेक देने की कोशिश की जा रही थी़ सुबह करीब 10:30 बजे से पंचायत भवन में बंधक बनाये गये कनीय अभियंता एनोस तिर्की व कर्मचारी विश्वजीत दास की यह दलील कि मुआवजे के निर्धारण में उनकी कोई भूमिका नहीं है़, ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थ़े बाद में मोबाइल पर पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के डीजीएम ने आश्वासन दिया कि ग्रामीणों की मांगों पर विचार होगा और उन्हें उचित मुआवजा मिलेगा. इस आश्वासन पर ग्रामीण शांत हुए. दिन के लगभग डेढ़ बजे सभी को मुक्त कर दिया गया़ जानकारी के मुताबिक पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया केएसी कंपनी के माध्यम से पतरातू से बेड़ो तक ट्रांसमिशन लाइन के लिए टावर लगाने व वाइरिंग का कार्य करा रही है़