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तैयारी से पहले खुद का आकलन जरूरी

तैयारी से पहले खुद का आकलन जरूरी अविनाश कुमारनिदेशकयूनिवर्सल कैरियर सेंटर वैसे विद्यार्थी जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें इन परीक्षाओं की मूल प्रवृति की सही समझ और जानकारी का होना आवश्यश्क है़ जिस तरह यात्रा के पहले गंतव्य, यातायात के साधनों की उपलब्धता, आर्थिक खर्च और समय का आकलन कर लिया […]

तैयारी से पहले खुद का आकलन जरूरी अविनाश कुमारनिदेशकयूनिवर्सल कैरियर सेंटर वैसे विद्यार्थी जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें इन परीक्षाओं की मूल प्रवृति की सही समझ और जानकारी का होना आवश्यश्क है़ जिस तरह यात्रा के पहले गंतव्य, यातायात के साधनों की उपलब्धता, आर्थिक खर्च और समय का आकलन कर लिया जाता है, उसी प्रकार परीक्षाओं की तैयारी करने का निर्णय लेने से पहले अभ्यर्थियों को स्वयं का आकलन करना चाहिए. परीक्षाओं का उद्देश्य, अवसरों की सीमा, अध्ययन सामग्री की उपलब्धता, मार्गदर्शन, तैयारी में लगनेवाले समय और चयन प्रक्रिया आदि. बैकिंग, एसएससी, रेलवे जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं मुख्यत: अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व, सामान्य शिक्षा, बुद्धिमता, ईमानदारी, अभिव्यक्ति-कौशल जैसे गुणों की जांच पर आधारित होती है़ अत: अभ्यर्थियों को इन्हीं को आधार बना कर तैयारी करनी चाहिए. जो विद्यार्थी छात्र स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें चाहिए कि वह एक तरफ कॉलेज की पढ़ाई ठीक ढंग से तो करें ही, साथ ही थोड़ा समय निकालकर समाचारपत्र, पत्रिकाएं भी पढ़ा करें. देश-दुनिया से संबंधित रुचि व जानकारी बढ़ाएं. आगे चलकर जब नौकरी के लिए साक्षात्कार में जायेंगे तब वहां उनके इतिहास, भूगोल, सामान्य विज्ञान, राजनीति, अर्थव्यवस्था से संबंधित ज्ञान और समझ की परीक्षा होगी. 10वीं स्तर तक की किताबों का भी रिविजन करते रहें. चूंकि इन परीक्षाओं में किसी भी स्ट्रीम या विषय के विद्यार्थी शामिल हो सकते हैं इसलिए प्रतिभागियों की संख्या भी यहां लाखों में होती है़ वैसे अभ्यर्थी जो शुरू से अंत तक मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन में तैयारी करते हैं, उन्हें सफलता निश्चित मिलती है. दूसरी तरफ वैसे छात्र, जो तैयारी के प्रति ईमानदार नहीं होते, न सिर्फ स्वयं असफलता झेलते हैं बल्कि अपने संपर्क में आनेवाले को भी निरंतर भ्रमित करते हैं. इनका रखें ध्यान तैयारी व्यवस्थित और समग्र हो : अभ्यर्थियों को विस्तृत और गहन तैयारी पर भरोसा करना चाहिए. आवेदन करने के बाद तैयारी प्रारंभ करके, गाइड-गेस पेपर, क्रैश-कोर्स आदि के सहारे इन परीक्षाओं में सफलता नहीं पायी जा सकती है़ बेहतर है कि जिन विषयों को भी इन परीक्षाओं में शामिल किया जाता है, उनकी गहन, गंभीर, समग्र और समझपूर्ण तैयारी की जाये़ – परीक्षा परिणामों की जिम्मेवारी स्वयं को दें : अभ्यर्थियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि बोर्ड सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों का ही चुनाव करता है़ किसी अभ्यर्थी का चयन नहीं हुआ, तो उन्हें यह समझना चाहिए कि जरूर उनकी तैयारी में कमी रही होगी़ जो परीक्षायें हो चुकी हैं उनका विश्लेषण करने की बजाय अगली परीक्षाओं की तैयारी में उत्साहपूर्वक जुट जाएं. – कट- अप मार्क्स को न बनायें तैयारी का आधार : अभ्यर्थियों का एक बहुत बड़ा वर्ग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का आधार विगत वर्षों के कट-अप मार्क्स को बना लेते हैं. यह मानकर चलने लगते हैं कि, मैं इतने प्रश्न बना लूं या इतने अंक ले आऊं तो, सफल हो जाऊंगा़ ऐसा वास्तव में आत्मघाती होता है़ सर्वप्रथम उम्मीदवारों को यह जान लेना चाहिए कि कट-अप मार्क्स उस न्यूनतम मार्क्स को कहा जाता है, जिसे किसी एक परीक्षा विशेष में अंतिम सफल अभ्यर्थियों के चयन का आधार बनाया बनाया जाता है़ यह अलग–अलग परीक्षाओं में, प्रश्नों के स्टैंडर्ड तथा अभ्यर्थियों के प्रदर्शन के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है़ इसलिए कभी भी निर्धारित कट-अप मार्क्स को अपनी तैयारी का आधार न बनायें. अपना जितना सर्वश्रेष्ठ कर सकते हैं, करें. – रणनीति पूर्ण हो परीक्षा की तैयारी : रणनीति परीक्षा के लिए नहीं वरन परीक्षा की तैयारी के लिए बनाएं. अकसर अभ्यर्थियों की तैयारी अव्यस्थित और दिशाहीन होती है़ लेकिन वह परीक्षाओं के लिए रणनीति बनाने में अधिक व्यस्त रहते हैं. इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलता है़

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