फसल हुई बरबाद, कर ली आत्महत्याफसल लगाने के लिए लिया था कर्ज मनोहरपुर/आनंदपुर. पश्चिमी सिंहभूम में सुखाड़ के कारण किसान आत्महत्या करने को भी मजबूर हो रहे हैं. अपनी बरबाद होती फसलों, चढ़ते कर्ज और परिवार का पालन-पोषण नहीं कर पाने की चिंता इन्हें ऐसा कदम उठाने को विवश कर रही है. बीते 26 सितंबर को जिले के आनंदपुर प्रखंड में हुई घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया वहीं, राज्य में किसानों की स्थिति पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया.आनंदपुर प्रखंड की सतबमड़ी गांव की बुधनी तिर्की (45) पर 20 हजार से अधिक का कर्ज चढ़ चुका था. उसने यह कर्ज अपनी दो एकड़ भूमि पर फसल रोपने के लिए लिये थे. उसे उम्मीद थी कि फसल होगी तो वह कर्ज चुकता कर सकेगी और अपने चार बच्चों को किसी तरह पाल सकेगी. उसके पति का देहांत 2001 में ही हो गया था. 26 सितंबर को वह अपने खेत पहुंची. लेकिन फसलों की हालत देखकर उसका हौसला टूट गया. समय पर बारिश नहीं होने के कारण धान के बीचड़े पूरी तरह से पीले पड़ गये. फसल होने की कोई संभावना नहीं बची थी. उसने अपने और अपने परिवार के अंधकारमय भविष्य को देखते हुए अपने खेत के सामने ही आम के पेड़ पर फांसी लगा कर अपनी जान दे दी.अब मृतका के घर में बड़े पुत्र नवीन तिर्की (22) पर अपने भाई-बहनो की जिम्मेवारी आ गयी है. अब वह मजदूरी में लग गया है. उसका एक छोटा भाई मांगी तिर्की (13), दो बहनें गंगीया तिर्की (8), कर्मी तिर्की (05) हैं. दोनों छोटी बहनें कक्षा तीन में सरकारी विद्यालय में पढ़ती हैं. इस परिवार में एक और सदस्य है. मृतका की 70 वर्षीय वृद्ध सास बांधो तिर्की. बांधो बताती है कि बेटे को खोने के बाद मेरी बहू ही बुढ़ापे का सहारा थी. परिस्थिति को क्या मंजूर है, इन बच्चों का सहारा इस उम्र में मैं कैसे बनूं.
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फसल हुई बरबाद, कर ली आत्महत्या
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