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कोजागरी लक्खी पूजा आज, बांग्ला पंचांग में दो को काली पूजा

रांची : बंग भाषियों की कोजागरी लक्खी पूजा शुक्रवार को है. शुक्रवार को दुर्गाबाड़ी सहित अन्य बांग्ला मंडप व बांग्ला भाषा–भाषी घरों में देवी लक्खी व भगवान सत्यनारायण स्वामी की पूजा अर्चना की जायेगी. भगवान को खीर, नारियल का लड्ड, लावा की मिठाई, ईख, धान की बाली सहित अन्य सामग्री अर्पित कर प्रसाद स्वरूप इसका […]

रांची : बंग भाषियों की कोजागरी लक्खी पूजा शुक्रवार को है. शुक्रवार को दुर्गाबाड़ी सहित अन्य बांग्ला मंडप बांग्ला भाषाभाषी घरों में देवी लक्खी भगवान सत्यनारायण स्वामी की पूजा अर्चना की जायेगी. भगवान को खीर, नारियल का लड्ड, लावा की मिठाई, ईख, धान की बाली सहित अन्य सामग्री अर्पित कर प्रसाद स्वरूप इसका वितरण किया जाता है. वहीं बांग्ला मंडपों में देवी की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना की जाती है.

कई लोग घरों में मां की प्रतिमा स्थापित कर पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना करते है. वहीं व्यापारी वर्ग भी इस पूजा को पूरी धूम धाम से करते है. इस दिन से नया खाता शुरू करते है. कई लोग रात में जागते भी हैं.

* बांग्ला पंचांग में दो को काली पूजा

– व्रतत्योहार. भगवान विष्णु का प्रिय महीना कार्तिक कल से शुरू

– प्रात: स्नान दीप दान का विशेष महत्व

।। राजकुमार ।।

रांची : त्योहारों का माह कार्तिक 19 अक्तूबर से शुरू हो रहा है. हिंदी कैलेंडर का आठवां माह कार्तिक है. भगवान कृष्ण विष्णु को यह माह बहुत प्रिय है. इस माह में दामोदर कृष्ण की पूजा का भी विशेष महत्व है.

इस माह में गंगा पुष्कर में स्नान पूजन का विशेष महत्व है. यदि गंगा में स्नान संभव नहीं है तो पास के तालाब,नदी में भी स्नान किया जा सकता है. इस माह में भक्तों को दीप दान और तुलसी का पूजन करना चाहिए. कार्तिक माह के महात्म्य की कथा सुने. भगवान को प्रसाद के रूप में तुलसी पत्ता पंचामृत में तुलसी पता डालें और पूजन के बाद इसका सेवन करें.

इस माह में काफी संख्या में लोग गंगा नदी के किनारे एकांतवास में रहते है. वहीं प्रतिदिन स्नान ध्यान पूजा करते है. इस माह में दीपावली, काली पूजा, छठ, यम द्वितीया, करवा चौथ, प्रबोधिनी एकादशी, आंवला पूजन, तुलसी विवाह जैसे कई पर्व त्योहार मनाये जाते है. इसे त्योहारों का महीना कहा गया है. इसे महीने में दान पुण्य का विशेष महत्व है.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन चातुर्मास का समापन हो जाता है. इस माह के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि की वृद्धि है. वहीं शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि का क्षय है. बांग्ला पंचांग के अनुसार दो नवंबर को काली पूजा है. इस दिन शाम 7.41 बजे से अमावस्या शुरू होगी जो तीन नवंबर को शाम 6.38 बजे तक रहेगी. वहीं हिंदी पंचांग के अनुसार तीन नवंबर को उदया तिथि में विशुद्ध रूप से अमावस्या होगी. इसी दिन रात में मां काली की आराधना होगी. इसी दिन स्नान दान की अमावस्या भी है.

तीन को सर्वग्रास सूर्यग्रहण है जो भारत में दृश्यमान नहीं है. यह ग्रहण मध्यपूर्व अफ्रीका,दक्षिणी यूरोप, पूर्वोत्तर अमेरिका और पूर्वोत्तर दक्षिण अमेरिका में दृश्यमान होगा.भारतीय मानक समयानुसार ग्रहण दिन के 3.35 मिनट पर शुरू होगा इसका मोक्ष रात्रि 8.59 मिनट पर होगा.

छठ पर्व में यह तिथि विशुद्ध रूप से नहीं मिल रहा है. सात नवंबर को दिन के 11.11 मिनट से पंचमी तिथि शुरू है जो आठ नंवबर को प्रात: 8.50 बजे तक रहेगी. प्रात: 8.51 से षष्ठी लग जायेगी जो नौ अक्तूबर को प्रात: 6.26 मिनट तक रहेगी. प्रात: 6.27 से सप्तमी लग जायेगी जो नौ को रात्रि शेष 4.06 मिनट तक है.

– दिनांक त्योहार व्रत के नाम

20 अक्तूबर अशून्य शयन व्रत

22 करवा चौथ

26 अघोई अष्टमी.

27 राधा जयंती

30 रंभा एकादशी.

31 गोवत्स द्वादशी.

एक नवंबर प्रदोष धनतेरस

दो नरक चतुर्दशी काली पूजा.

तीन दीपावली

चार अन्नकूट

पांच यम द्वितीया भाई दूज .

दिनांक त्योहार व्रत के नाम

छह नहाय खाय (प्रथम दिन).

सात खरना (द्वितीय दिन).

आठ सूर्य षष्ठी व्रत (तृतीय दिन)

नौ उदयाचलगामी अघ्र्य पारणा.

10 गोपाअष्टमी.

11 अक्षय नवमी जगद्धात्री पूजा.

13 प्रबोधिनी एकादशी.

14 तुलसी विवाह.

15 प्रदोष व्रत

16 बैकुंठ चतुदर्शी.

17 कार्तिकगुरु पूर्णिमा.

* कार्तिक माह के नियम

पूरे माह सात्विक भोजन करें. व्रत करनेवालों को भूमि शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, कम बोलना चाहिए,अधिक से अधिक ध्यान पूजा परोपकार में लगाना चाहिए. तेल आदि लगायें सिर्फ छोटी दीपावली के दिन ही इसे लगायें. भोजन में दाल का त्याग करना चाहिए विशेषकर उड़द,चना दाल,मूंग,मसूर,मटर,राई आदि. बासी भोजन से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा सब्जी में बैगन,गाजर,लौकी आदि नहीं ग्रहण करना चाहिए. छठ पर्व सहित अन्य पर्व इसके अपवाद है.

आचार्य जयनारायण पांडेय ने कहा कि इस मंत्र से दीप प्रज्वलित कर भगवान को दिखायें : दीपो ज्योति: परं ब्रह्म दीपो ज्योति जनार्दन:

दीपो हरतु में पापं संध्यादीप नमोस्तुते

तुलसी स्तुति इस मंत्र से करें : देवैस्तवं निर्मिता पूर्वंमर्चितासि मुनीश्वरै :. नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये .

भगवान विष्णु के स्तुति मंत्र : शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिर्वण चतुभरुजम. प्रसन्नवदनं ध्यायते सर्व विघ्नोपशान्तये.

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