रांची: राज्य में कुल 188 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हैं. इनमें से 155 केंद्रों का नया भवन बनाया जा रहा है. इसके लिए दो एजेंसियां काम कर रही हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के बजट से 22 सीएचसी का निर्माण किया जा रहा है. वहीं राज्य योजना मद से 133 सीएचसी बनाये जा रहे हैं. इन दोनों की लागत अलग-अलग है. एनआरएचएम के तहत बने सीएचसी की लागत 3.18 करोड़ से 3.53 करोड़ के बीच है. वहीं राज्य योजना मद से इसका निर्माण पांच करोड़ तक की लागत से हो रहा है. यानी दोनों सीएचसी की लागत में 50 लाख से अधिक का अंतर है. विभागीय अधिकारी भी मानते हैं कि विलंब के आधार पर बढ़ायी गयी लागत में धांधली हुई है, जबकि राज्य योजना मद के ज्यादातर सीएचसी के लिए जमीन शुरुआत में ही मिल गयी थी.
पांच साल से निर्माण जारी : सीएचसी के निर्माण की गति धीमी है. गत पांच वर्षो से इनका निर्माण चल रहा है. वहीं एनआरएचएम के तहत बन रहे 22 सीएचसी में से चार पूरे हुए हैं.18 का निर्माण जारी है, जबकि खूंटी का काम बंद है. कंस्ट्रक्शन सेल के प्रभारी सुब्रतो के अनुसार सभी सीएचसी मार्च-14 तक पूरे कर लिये जायेंगे.
राज्य योजना बेहाल : राज्य योजना से बन रहे 133 में से 36 का ही निर्माण पूरा हुआ है. 12 का काम शुरू ही नहीं हुआ तथा छह (मनिका, हंटरगंज, इटखोरी, बिरनी, चुरचू व चंदवारा) का काम अभी बंद है. जिनका काम शुरू नहीं हुआ, उनमें से चार (डुमरी, पालकोट, कामडारा व गढ़वा) जमीन नहीं मिलने सहित अन्य कारणों से सरेंडर कर दिये गये हैं.
सबको मिला काम : सीएचसी निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2006-07 के दौरान विभिन्न एजेंसियों को काम मिला. यहां तक की हाउसिंग बोर्ड ने गढ़वा सीएचसी का काम ले लिया, जो शुरू ही नहीं हो सका. उधर पीरटांड़ में निर्माण का काम उपायुक्त ने ही ले लिया. उपायुक्त खुद जमीन नहीं खोज पाये व योजना शुरू ही नहीं हो सकी.
कार्यरत एजेंसी : राज्य योजना का काम एचएससीएल व एनबीसीसी जैसी एजेंसियों के अलावा इंजीनियरिंग सेल, विशेष प्रमंडल, भवन निर्माण, आरइओ ने लिया है. वर्ष 08 में निर्माण कार्य व इसकी मोनिटरिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग के तहत इंजीनियरिंग सेल का गठन किया गया. तब तक विभिन्न एजेंसियों को कम बंट गया था. इंजीनियरिंग सेल एनआरएचएम की योजना का काम भी कर रहा है. सेल के सभी काम की मोनिटरिंग वह खुद करता है. उधर विभिन्न एजेंसियों के काम की मोनिटरिंग विभाग करता है.