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नहीं होगा 21 खदानों का लीज नवीकरण

रांची : प. सिंहभूम स्थित 21 लौह अयस्क खदानों का लीज नवीकरण नहीं हो सकता. विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अंतिम रूप से अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंप दी. कमेटी ने लीज नवीकरण की अनुशंसा से साफ इनकार कर दिया है. इसके साथ ही 21 खदानों के लीज नवीकरण को […]

रांची : प. सिंहभूम स्थित 21 लौह अयस्क खदानों का लीज नवीकरण नहीं हो सकता. विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अंतिम रूप से अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंप दी. कमेटी ने लीज नवीकरण की अनुशंसा से साफ इनकार कर दिया है. इसके साथ ही 21 खदानों के लीज नवीकरण को लेकर चल रही ऊहापोह की स्थिति समाप्त हो गयी है. हालांकि अंतिम रूप से फैसला अब मुख्यमंत्री को लेना है.
बंद है 21 खदानों से लौह अयस्क का उत्खनन
21 खदान से सितंबर 2014 से ही उत्पादन बंद है. खान विभाग ने द्वितीय लीज नवीकरण की प्रक्रिया पूरी किये बिना उत्खनन पर रोक लगा दी थी. फिलहाल अभी भी सारे खदान बंद है.
क्या है मामला
21 निजी क्षेत्र की लौह अयस्क खदानों के लीज नवीकरण पर फैसला लेने के लिये मुख्यमंत्री ने विकास आयुक्त आरएस पोद्दार की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी. कमेटी को सारे मामलों की सुनवाई कर अपनी अनुशंसा देनी थी. कमेटी में खान, वन, भू-राजस्व व विधि सचिव भी थे.

बताया गया कि कमेटी ने लीज के बाबत अलग-अलग बनी कमेटियों की रिपोर्ट को देखा. सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार ने खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 के प्रावधानों में संशोधन किया था. इसके अधिनियम के नियम आठ(ए) के तहत केवल उन पट्टों का ही अवधि विस्तार हो सकता है जो उक्त नियम के प्रावधानों की शर्तों के साथ-साथ लीज की अन्य शर्तों को भी पूरा करते हैं. प. सिंहभूम के इन नन कैप्टिव खनन पट्टा के कानूनी प्रावधानों की अर्हताओं की जांच करने के लिए खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा समय-समय पर समितियों का गठन किया जाता रहा है. इनमें उपायुक्त पश्चिम सिंहभूम की समिति, अपर निदेशक खान वीएन बैठा की समिति एवं कोल्हान अंचल के उपनिदेशक खान शंकर सिन्हा की समिति बनी थी. इन तीनों समितियों द्वारा समर्पित प्रतिवेदनों में संबंधित पट्टाधारियों द्वारा खनन में बरती गयी अनियमितताओं का स्पष्ट उल्लेख किया गया है. साथ ही समितियों ने अपने प्रतिवेदन में अनुशंसा की है कि किसी भी नन कैप्टिव पट्टाधारी के लिए अवधि विस्तार की अनुशंसा नहीं की जा सकती है.

कारण है कि इन सभी पट्टेधारियों ने प्रासंगिक प्रावधानों का घोर उल्लंघन किया है. इसके बाद कमेटी ने शाह आयोग की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया. फिर पट्टेधारियों के साथ बैठक कर उनका पक्ष भी सुना. इसके बाद महाधिवक्ता से अंतिम रूप से राय ली गयी. महाधिवक्ता ने भी नियमों का हवाला देते हुए नन कैप्टिव माइंस द्वारा उल्लंघन के मामले में लीज नवीकरण न करने का सुझाव दिया. विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनी समिति ने अंतिम रूप से महाधिवक्ता की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए सरकार से लीज नवीकरण न करने की अनुशंसा की है.

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