25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिना सबूत मांगी नक्सलियों पर केस चलाने की अनुमति

रांची: नक्सलियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति (अभियोजन स्वीकृति) मांगने से पहले जिलों के डीसी साक्ष्यों की समीक्षा नहीं करते. बिना सबूत दिये ही गृह विभाग को पत्र लिख कर नक्सलियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगते हैं. हाल में गृह विभाग ने सात मामलों में रांची, गुमला, बोकारो व लातेहार के डीसी को […]

रांची: नक्सलियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति (अभियोजन स्वीकृति) मांगने से पहले जिलों के डीसी साक्ष्यों की समीक्षा नहीं करते. बिना सबूत दिये ही गृह विभाग को पत्र लिख कर नक्सलियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगते हैं. हाल में गृह विभाग ने सात मामलों में रांची, गुमला, बोकारो व लातेहार के डीसी को अलग-अलग पत्र लिख कर आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य भेजने का निर्देश दिया है. इन मामलों में आरोपी बनाये गये नक्सलियों को पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धाराओं के अलावा अनलॉफुल एक्टीविटी प्रीवेंशन एमेंडमेंट एक्ट (यूएपी एक्ट) के तहत आरोपी बनाया है.

यूएपी एक्ट के तहत आरोपी बनाये गये नक्सलियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति गृह विभाग देता है. इन सात मामलों में जिलें के डीसी ने अभियोजन स्वीकृति के लिए जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें साक्ष्य की कमी है. किसी में प्राथमिकी व चार्जशीट की प्रति ही नहीं भेजी है, किसी में सिर्फ स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर स्वीकृति मांगी गयी है, तो किसी में साक्ष्य के नाम पर सिर्फ घटना के वक्त आपस में नाम लेकर पुकारने को ही सबूत मान लिया गया है. एक मामले में ग्रामीणों को गवाह तो बनाया है, पर गवाह का नाम ही नहीं लिखा है.

एसआइटी बनी, पर काम करने नहीं दिया
नक्सली घटनाओं के आरोपी नक्सलियों को अदालत में सजा दिलाया जा सके, इसके लिए मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के आदेश पर फरवरी माह में सरकार ने स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया था. एडीजी अभियान को एसआइटी का प्रमुख बनाया गया था. डीजीपी डीके पांडेय ने एक आदेश जारी कर कुल 13 एसआइटी बनायी थी. एसआइटी ने नक्सली घटनाओं से संबंधित 1223 मामलों की सूची तैयार की थी. साथ ही 14 मामलों की जांच शुरू कर दी थी, लेकिन अचानक एक उच्चाधिकारी की टिप्पणी के बाद इन मामलों की जांच रोक दी गयी. राज्य भर के लिए गठित की गयी 13 एसआइटी टीमों के प्रमुख पद पर किसी डीएसपी की नियुक्ति हीं नहीं की गयी.
सात नक्सली जमानत पर : नक्सलियों के खिलाफ अनुसंधान और ट्रायल की स्थिति यह है कि राज्य पुलिस ने जिन नक्सलियों को टॉप 20 में रखा है, उनमें से सात नक्सली पहले भी जेल जा चुके हैं. साक्ष्य के आभाव में वह जेल से छूट गये. पुलिस उन्हें अधिक दिनों तक जेल में भी नहीं रख सकी. यदि पुलिस इन नक्सलियों को तब सजा दिला देती, तो आज वे पुलिस के लिए सिरदर्द नहीं बने होते.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें