वहीं रोगियों को समय पर धुआं रहित भोजन मिल जाता था़ केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा संस्थान के नाम आवंटित गैस कनेक्क्शन की सब्सिडी समाप्त किये जाने के कारण आरोग्यशाला प्रशासन द्वारा गैसीय पाकशाला को बंद कर दिया गया़ तब से पुरानी व्यवस्था के तहत कोयले के चूल्हे पर खाना बनने लगा़ पाकशाला में कार्यरत कर्मचारियों के अनुसार, कोयले के चूल्हे पर भोजन तैयार करने में एक से डेढ़ घंटे का अतिरिक्त समय लगता है़.
धुआं के बीच भोजन तैयार करने में कर्मचारियों को परेशानी होती है़ इस संबंध में पूछने पर आरोग्यशाला के उपाधीक्षक सह खाद्य प्रभारी डॉ शंकर रंजन ने बताया कि गैस सब्सिडी समाप्त किये जाने के कारण गैसीय पाकशाला को बंद करना पड़ा है़ सब्सिडी रहित गैस खरीदने पर इंधन के लिए प्रति रोगी 11–12 रुपये का खर्च है़ ऐसी परिस्थिति में रोगियों के भोजन की मात्रा में कटौती करनी पड़ेगी़
इधर, गत दिनों आरोग्यशाला भ्रमण के दौरान उपायुक्त मनोज कुमार ने कहा था कि वर्तमान आधुनिक युग में गरीब तबके के लोग गैस की ओर जा रहे हैं, जबकि आरोग्यशाला जैसे सरकारी संस्थान गैसीकरण को छोड़ पुन: कोयला व लकड़ी के युग में आ गया है़