अनुसंधान के लिए दो साल से अधिक समय से लंबित मामलों की संख्या 5307 है. इसमें हत्या, लूट, डकैती, फिरौती के लिए अपहरण, दुष्कर्म और रंगदारी जैसे गंभीर आपराधिक मामले शामिल हैं. इस साल मई और जून माह में सीआइडी ने यह आंकड़ा तैयार किया था. इसके बाद डीजीपी डीके पांडेय ने 26 जून को इसे लेकर सभी प्रमंडल के डीआइजी को अर्द्धसरकारी पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने सीआइडी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा था कि हत्या, डकैती, अपहरण, दुष्कर्म, रंगदारी जैसे मामलों का अनुसंधान सालों से लंबित रहने को लेकर चिंता व्यक्त की गयी थी.
साथ ही कहा था कि अनुसंधान नहीं होने के कारण अपराध नियंत्रण पर प्रतिकूल प्रभाव परिलक्षित हो रहा है, इसलिए यह जरूरी है कि आपके (सभी डीआइजी) के स्तर से तुरंत लंबित मामलों की समीक्षा की जाये और अनुसंधान में तेजी लाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें. साथ ही जिलों के एसपी को आवश्यक निर्देश देते हुए आवश्यक सुधार लायें. पुलिस मुख्यालय के आधिकारिक सूत्र के मुताबिक आज भी हालात ऐसे ही हैं. डीजीपी के पत्र के बाद भी लंबित मामले के अनुसंधान में ठोस प्रगति नहीं आयी है.