नयी दिल्ली. कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआइ के गवाह के तौर पर पेश हुए झारखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी को सवालों का जवाब नहीं देने पर अदालत की फटकार सुननी पड़ी. विशेष अदालत के जज ने उसे चेताया कि लोक सेवकों से अदालत में व्यवहार कुशल रहने की अपेक्षा की जाती है.
अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब वरिष्ठ सरकारी वकील वीके शर्मा द्वारा देवघर स्थित जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक दिलीप कुमार शर्मा से उन फाइलों के बारे में सवाल पूछे जा रहे थे जो उसने जांच के दौरान सीबीआइ निरीक्षक विजय चेतियार को सौंपे थे. जब वकील ने गवाह से पूछा कि क्या उसने फाइलों की पहचान की थी या नहीं, इस पर गवाह ने ढंग से जवाब नहीं दिया.
विशेष सीबीआइ जज भरत पाराशर ने शर्मा से कहा कि उसे सवालों के ढंग से हाे या नहीं में जवाब देना चाहिए. यदि वह आगे कुछ कहना चाहता है तो बोलना चाहिए. जज ने कहा, एक लोअर डिविजनल क्लर्क की तरह व्यवहार न करें. आप महाप्रबंधक हैं और एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी हैं. यह अदालत है न कि आपका दफ्तर.
अगर आप निरंतर इस तरह व्यवहार करेंगे तो मैं आपके व्यवहार के बारे में लिखुंगा और संबद्ध प्राधिकरणों को आदेश भेजूंगा. अदालत ने शर्मा के अलावा और तीन गवाहों के बयान दर्ज किये और मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी. उल्लेखनीय है कि आरोपी फर्म विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड को झारखंड में राजहारा नार्थ कोयला ब्लाॅक के आबंटन में कथित अनियमितताओं से जुडे इस मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और आठ अन्य लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं.