रांची: यह इंद्रदेव के लिए अच्छी अोपनिंग के साथ खराब पारी खेलने का मामला है, जिसने किसानों को मायूस व हताश कर दिया है. बारिश न होने से कुछ जिलों को छोड़ राज्य भर के खेतों में दरार आ रही है. रोपा के समय जुलाई में अच्छी बारिश हुई थी. कृषि विभाग ने भी किसानों को सही समय पर धान बीज उपलब्ध करा दिया था. खेतों में समय पर बिचड़े लग गये थे. विभागीय आंकड़े के मुताबिक, 15 अगस्त तक लक्ष्य का 85 फीसदी तक रोपा हो चुका था.
समय-समय पर बारिश होते रहने से खेत लहलहाने लगे थे, पर ऐन वक्त पर बारिश ने धोखा दे दिया है. ताजा हालात से धान की फसल को नुकसान होने की संभावना जतायी जा रही है. अगस्त माह में सबसे कम बारिश कोल्हान प्रमंडल में दर्ज की गयी है. वहां सामान्य 291.6 मीमी के बजाय सिर्फ 141.9 मीमी वर्षा ही हुई है. वहीं सितंबर माह में अब तक पूरे राज्य में बारिश की स्थिति बदतर है. अब भी बारिश नहीं हुई, तो मध्यम व दोन जमीन पर लगी धान भी चौपट हो सकती है.
अब नुकसान तय
बीएयू के वैज्ञानिक डॉ ए वदूद के अनुसार, अब यदि अच्छी बारिश होती है, तो भी धान की फसल को 15 से 20 फीसदी का नुकसान होगा. वहीं यदि बारिश नहीं हुई, तो यह नुकसान 20 से 35 फीसदी के बीच हो सकता है. डॉ वदूद ने कहा कि दोन जमीन में अभी कई जगह पानी है तथा बारिश होने या नहीं होने का असर वहां कम पड़ेगा. डॉ वदूद के अनुसार, इन दिनों बारिश के पूर्वानुमान कई बार फेल हो रहे हैं, पर ताजा स्थिति से उम्मीद जगी है. अोड़िशा में कम दबाब का क्षेत्र बना हुआ है. यह धीरे-धीरे झारखंड व छत्तीसगढ़ की तरफ बढ़ रहा है. अब तक मूवमेंट से यह निश्चित है कि अगले दो से तीन दिनों में बारिश होगी. उन्होंने संभावना जतायी कि आनेवाले दिनों में अच्छी बारिश होगी़.
जरूरत हुई, तो वैकल्पिक बीज बंटेंगे
सितंबर माह में अब तक राज्य में अौसतन 20 मीमी बारिश हुई है. अभी की जो स्थिति है, उसमें अपर लैंड (टांड़) की फसल दबाब में है. वहीं मध्यम व निचली जमीन की फसल ठीक है. यहां बारिश नहीं भी हुई, तो बहुत नुकसान नहीं होगा. खतरा अपर लैंड की फसल को है. हमलोग फिर स्थिति की समीक्षा करेंगे. जरूरत हुई, तो अपर लैंड के लिए तुरी, कुल्थी व सुरगुजा के बीच वितरित किये जायेंगे.
जटाशंकर चौधरी, निदेशक कृषि
वैकल्पिक खेती की बात तो अब हो नहीं सकती. लगभग सभी खेतों में धान लगे हैं, वहां कोई खाली जगह नहीं है. जहां रोपाई नहीं हो पायी है, वहीं के लिए कुछ किया जा सकता है. दलहन व तेलहन की फसल राज्य में ठीक बतायी जा रही है. मक्का की फसल को थोड़ा नुकसान हुआ है. टांड़ जमीन पर लगी धान की फसल पर खतरा ज्यादा है. मध्यम व दोन (निचली) जमीन में अभी थोड़ा पानी व नमी दोनों है. अगले एक सप्ताह में बारिश की उम्मीद जतायी जा रही है. बारिश हो गयी, तो राहत मिल जायेगी. नहीं हुई, तो नुकसान तो होगा.
नितिन मदन कुलकर्णी सचिव कृषि, पशुपालन व सहकारिता विभाग
पैदावार आधी होगी
छह एकड़ जमीन (मध्यम व दोन) पर देसी व हाइब्रिड दोनों धान लगाये हैं. यदि समय पर बारिश होती रहती, तो करीब दो सौ क्विंटल धान पैदा होता. अब यदि अच्छी बारिश भी हो, तो पैदावार आधी हो जायेगी. नहीं हुई, तो धान पूरी तरह खत्म हो जायेगा. वहीं वर्ष भर मवेशियों के लिए पुआल भी नहीं मिल सकेगा. बारिश न होने से धान के पौधे नहीं बढ़े हैं. आम तौर पर एक पौधे से 30-35 ब्रांच निकलते हैं. पर अब सिर्फ 5-10 ही निकल सके हैं.
नेहरू महतो, किसान, महिलौंग