रांची: राज्य के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केंद्रों में घटिया बैंडेज की आपूर्ति हो रही है. इसका खुलासा ड्रग जांच प्रयोगशाला की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक करीब 115 बैंडेज की जांच में सिर्फ एक बैंडेज सैंपल ही अोके हुआ. निम्न स्तरीय बैंडेज में खून सोखने की क्षमता कम है तथा प्रति […]
रांची: राज्य के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केंद्रों में घटिया बैंडेज की आपूर्ति हो रही है. इसका खुलासा ड्रग जांच प्रयोगशाला की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक करीब 115 बैंडेज की जांच में सिर्फ एक बैंडेज सैंपल ही अोके हुआ. निम्न स्तरीय बैंडेज में खून सोखने की क्षमता कम है तथा प्रति सेंटिमीटर थ्रेड (धागों) की संख्या निर्धारित घनत्व से कम पायी गयी है.
सूत्रों के अनुसार अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों में ही नहीं, बल्कि खुले बाजार में भी घटिया बैंडेज ही ज्यादा बिक रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, जख्म साफ करने में काम अाने वाले पोविडोन आयोडिन केमिकल भी बाजार में घटिया क्वालिटी के बिक रहे हैं.
बेटाडिन के नाम से बिकने वाले इस केमिकल के कई सब स्टैंडर्ड नमूने बाजार में हैं. दवा कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि पोविडोन आयोडिन केमिकल की भी सैंपल जांच होनी चाहिए तथा घटिया या निम्न स्तरीय केमिकल की बिक्री पर रोक लगायी जानी चाहिए.
बैंडज अच्छा न हो तो कई समस्या हो सकती है. एक तो बैंडेज को टाइट बांधने में दिक्कत होगी. वहीं खून सोखने की क्षमता कम होने तथा ब्लड के पट्टी से बाहर आने के कारण संक्रमण का खतरा हो सकता है.
डॉ अजीत कुमार प्रसाद
उपनिदेशक स्वास्थ्य