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त्वरित पहल: अब सीएम की देखरेख में होगा क्षेत्र का विकास

रांची : देवघर-वासुकिनाथ मंदिर प्रबंधन प्राधिकार व झारखंड इंडस्ट्रीज फेसिलिटेशन एंड सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल-2015 पर अध्यादेश लाया गया है. मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया था. राज्यपाल की मंजूरी के बाद गुरुवार को देर रात इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी. अब मुख्यमंत्री की देखरेख में इस धार्मिक और […]

रांची : देवघर-वासुकिनाथ मंदिर प्रबंधन प्राधिकार व झारखंड इंडस्ट्रीज फेसिलिटेशन एंड सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल-2015 पर अध्यादेश लाया गया है. मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया था. राज्यपाल की मंजूरी के बाद गुरुवार को देर रात इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी. अब मुख्यमंत्री की देखरेख में इस धार्मिक और पर्यटन क्षेत्र का विकास होगा.
क्या है मंदिर प्राधिकार
राज्य सरकार देवघर स्थित वैद्यनाथ धाम और दुमका स्थित वासुकिनाथ के प्रशासनिक प्रबंधन के लिए प्राधिकार गठित कर रही है. प्राधिकार के क्षेत्राधिकार में बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर व वासुिकनाथ मंदिर के अलावा उसके आस-पास के क्षेत्र भी होंगे. वहां किये जाने वाले सभी विकास कार्यों की मॉनिटरिंग खुद मुख्यमंत्री करेंगे. मुख्यमंत्री ही प्राधिकार के अध्यक्ष होंगे. पर्यटन मंत्री, मुख्य सचिव व विभिन्न विभागों के सचिव समेत अन्य वरीय अधिकारी इसके पदाधिकारी होंगे. प्राधिकार गठित करने के लिए सरकार अध्यादेश ला रही है.

बाबा वैद्यनाथ धाम व वासुकिनाथ मेला क्षेत्र विकास प्राधिकार, नगर निगम की तर्ज पर समूचे मेला क्षेत्र में विकास व प्रशासन से संबंधित काम करेगा. प्राधिकार में सरकार के वरीय अधिकारी को मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित किया जायेगा. क्षेत्र में विकास से संबंधित सभी कार्यों का संपादन बोर्ड की बैठकों में लिये गये फैसले के आधार पर ही किया जायेगा. प्राधिकार क्षेत्र के विकास के लिए अलग से वित्तीय प्रबंध किये जायेंगे.

मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
सावन माह के दौरान देवघर में भगदड़ के कारण हुई दुघर्टना के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मेला क्षेत्र के विकास के लिए अलग संस्था बनाने की घोषणा की थी. श्री दास के निर्देश पर ही प्राधिकार के गठन से संबंधित अध्यादेश लाया गया है. बाद में विधानसभा सत्र के दौरान इसे पेश कर सदन की मंजूरी ली जायेगी.
सिंगल विंडो बिल से क्या होगा लाभ
झारखंड में उद्योग लगाने के लिए निवेशकों को बार-बार कार्यालय का चक्कर लगाने से निजात दिलाने के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल बनाया गया है. पीएम के मेक इन इंडिया अभियान के तहत कई पुराने श्रम कानूनों, पर्यावरण व बिजली से संबंधित कानूनों को आसान किया गया है. वहीं सिंगल विंडो में एक ही आवेदन पर निवेशकों को सारे क्लीयरेंस देने का प्रावधान है. सिंगल विंडो के लिए झारखंड औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास निगम (जिडको) एजेंसी के रूप में काम करेगा. निवेशकों को अब जिडको के एमडी के साथ एमओयू करना होगा. इसके अलावा चार स्तरीय कमेटी बनायी गयी है. एपेक्स कमेटी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनायी गयी है. इसमें संबंधित विभागों के मंत्री व सचिव को सदस्य बनाया गया है.यह कमेटी हाइपावर कमेटी द्वारा भेजे गये मामलों पर निर्णय लेगी. दूसरी कमेटी हाइपावर कमेटी होगी, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे. हर तीन महीने पर इस कमेटी की बैठक होगी. यह कमेटी एजेंसी, जिला स्तरीय नोडल एजेंसी व जिला स्तरीय कार्यकारी समिति के कार्यों की मॉनिटरिंग करेगी. एपेक्स कमेटी द्वारा दिये गये कार्यों को यह कमेटी करेगी.
क्यों लाना पड़ा अध्यादेश
सूत्रों ने बताया कि सरकार देवघर व वासुकिनाथ मंदिर प्रबंधन प्राधिकार का शीघ्र गठन करना चाहती थी. इसे एक्ट का रूप देना था, ताकि प्राधिकार को संवैधानिक अधिकार मिल सके. सरकार अगले वर्ष की मेला की तैयारियों में अभी से ही जुट जाना चाहती है. पर एक्ट होने की वजह से इसे विधानसभा से पारित कराना होगा. विधानसभा का शीतकालीन सत्र अब दिसंबर में ही संभव है. इसे देखते हुए सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया. वहीं झारखंड इंडस्ट्रीज फेसिलिटेशन एंड सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल-2015 विधानसभा मॉनसून सत्र के अंतिम दिन सरकार ने पेश किया था. पर इसे प्रवर समिति को देने की बात हो रही थी. फिर सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया. कारण है कि आठ सितंबर को सरकार सिंगल विंडो पोर्टल का उदघाटन करने जा रही है. सरकार प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के तहत हर हाल में इस बिल को लाना चाहती थी. यही कारण है कि सरकार ने अध्यादेश लाया, ताकि बिल से सिंगल विंडो को वैधानिक अधिकार मिल सके.

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