वह गुरुवार को रीजनल बिशप्स कांफ्रेंस, कैथाेलिक रिलीजियस ऑफ इंडिया व सीडीपीआई की बैठक को संबोधित कर रहे थे. इस दो दिवसीय बैठक का आयोजन ‘आदिवासी आत्मा को जागृत करने’ के विषय पर एसडीसी सभागार में किया गया है.
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आदिवासियों के पक्ष में खड़ा हो चर्च : फादर मरियानुस
रांची: सोइसाइटी ऑफ जीसस के प्रोविंसियल फादर जोसफ मरियानुस कुजूर ने कहा है कि चर्च को फादर कांस्टेंट लीवंस और फादर जेबी हॉफमैन की तरह आदिवासियों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए. आदिवासियों के जमीन की रक्षा के लिए सीएनटी एक्ट बनाने, कोऑपरेटिव बैंक स्थापित करने में फादर हॉफमैन ने अहम भूमिका निभायी थी. वहीं […]
रांची: सोइसाइटी ऑफ जीसस के प्रोविंसियल फादर जोसफ मरियानुस कुजूर ने कहा है कि चर्च को फादर कांस्टेंट लीवंस और फादर जेबी हॉफमैन की तरह आदिवासियों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए. आदिवासियों के जमीन की रक्षा के लिए सीएनटी एक्ट बनाने, कोऑपरेटिव बैंक स्थापित करने में फादर हॉफमैन ने अहम भूमिका निभायी थी. वहीं फादर कांस्टेंट लीवंस ने आदिवासियों की जमीन बचाने की कानूनी लड़ाई व शिक्षण संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
सिर्फ 3.5 प्रतिशत आदिवासी करते हैं बीए से आगे की पढ़ाई : फादर जोसफ ने कहा कि 1991 के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में आदिवासियों की साक्षरता दर 27.5 प्रतिशत थी, जो साल 2001 में बढ़ कर 40.7 हो गयी. पर जमीनी आंकड़े उत्साहजनक नहीं हुए. प्राइमरी स्तर तक पढ़ाई करने वाले आदिवासी 33 प्रतिशत, मध्य विद्यालय तक पढ़ने वाले 17.7, सेकेंडरी स्तर तक पढ़ने वाले 16.5, ग्रेजुएशन या आगे की पढ़ाई करने वाले 3.5 और तकनीकी पढ़ाई करने वाले 0.1 प्रतिशत ही हैं. चर्च को अपने शिक्षण संस्थानों में 70- 80 प्रतिशत अंक हासिल करने वालों का दाखिला कर शत-प्रतिशत परीक्षाफल हासिल करने से ज्यादा 30- 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वालों को लेकर 60- 70 प्रतिशत अंक हासिल करने वाला बनाने पर ध्यान देना चाहिए.
अपनी भाषा जानें, अंगरेजी भी फर्राटे से बोलें
उन्हाेंने कहा कि आदिवासियों को आगे बढ़ने के लिए अपनी संस्कृति छोड़ने की जरूरत नहीं है. वे अपनी भाषा भी जानें और अंगरेजी भी फर्राटे से बोलें. आदिवासी आैर आधुनिक ज्ञान से सर्वश्रेष्ठ निकाल कर चहुंमुखी विकास करें. बैठक में कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो, बिशप थियोडोर मास्करेन्हास, बिशप तेलेस्फोर बिलुंग, बिशप विनय कंडुलना, बिशप विंसेंट बरवा, बिशप पॉल लकड़ा, बिशप जूलियस मरांडी, बिशप फेलिक्स टोप्पो, बिशप आनंद जोजो, सिस्टर लिंडा मेरी वॉन, पूर्व महालेखाकार बेंजामिन लकड़ा व अन्य मौजूद थे.
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