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खुद विस्फोटक रख मुखबिर ने इंतेजार अली को पकड़वाया!
रांची : वर्द्धमान-हटिया पैसेंजर ट्रेन से विस्फोटक की बरामदगी और विस्फोटक लाने के आरोप में इंतेजार अली की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस के ही एक मुखबिर की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही है. डोरंडा में रहनेवाला पुलिस का यह मुखबिर पहले भी पुलिस के हाथों विस्फोटक पकड़वा चुका है. अब मुखबिर पर जब पुलिस […]
रांची : वर्द्धमान-हटिया पैसेंजर ट्रेन से विस्फोटक की बरामदगी और विस्फोटक लाने के आरोप में इंतेजार अली की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस के ही एक मुखबिर की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही है. डोरंडा में रहनेवाला पुलिस का यह मुखबिर पहले भी पुलिस के हाथों विस्फोटक पकड़वा चुका है.
अब मुखबिर पर जब पुलिस को संदेह हुआ, तो वह फरार हो गया. पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है. सूत्रों के मुताबिक हाल के दिनों में वह रांची पुलिस के अलावा दूसरी एजेंसियों के लिए भी मुखबिरी करने लगा था.
सूत्रों ने बताया कि मुखबिर खुद विस्फोटक खरीद कर बस या कहीं और रख देता था, उसके बाद पुलिस को सूचना देकर उसे पकड़वा देता था. बदले में पुलिस विभाग से वह मोटी रकम ले लेता था. उसके बारे में बताया जाता है कि करीब छह साल पहले वह पुलिस के एक सीनियर अफसर के संपर्क में आया था, जिसके बाद लगातार पुलिस व अन्य एजेंसियों के संपर्क में रहा.
अखबार में लपेटा हुआ था विस्फोटक
18 अगस्त को वर्द्धमान-हटिया ट्रेन से कीता स्टेशन के पास विस्फोटक बरामद हुआ था. विस्फोटक एक बैग में रखे गये थे. बैग खोलने पर पुलिस को अखबार के पन्नों में लपेट कर रखा गया विस्फोटक मिला था.
सूत्रों के मुताबिक जिस अखबार में विस्फोटक को लपेटा गया था, वह रांची से प्रकाशित अखबार का पन्ना था. पुलिस के अफसरों ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया.
पुलिस ने उस दिन बताया था कि बांग्लादेश से विस्फोटक वर्द्धमान लाया गया. उसके बाद उसे रांची के लिए लाया जा रहा था. अब सवाल उठता है कि क्या ट्रेन में रखने से पहले तक विस्फोटक को खुला रखा गया था. यदि पहले से पैक था तो उसका पैक खोल कर उसे रांची से लाये गये अखबार में लपेटा गया. पुलिस के अफसरों ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया.
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