रांची : दो सितंबर को आम हड़ताल का असर सभी औद्योगिक और सरकारी प्रतिष्ठानों पर दिखेगा. राज्य में बैंक, कोयला उद्योग, राज्य सरकार व केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने आंदोलन को सफल बनाने की घोषणा की है. इंश्योरेंस, रेल, एचइसी, डाक विभाग और एयर ट्रैफिक पर भी इसका असर होगा़ आंदोलन को सफल बनाने के लिए जगह-जगह रणनीति बनायी जा रही है. विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में कर्मचारियों को इस हड़ताल में शामिल होने का आह्वान कर रहे हैं.
कोल इंडिया की झारखंड में संचालित सभी कंपनियों (सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल व सीएमपीडीआइ) में मजदूर प्रतिनिधि घूम-घूम कर आंदोलन सफल करने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं. माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने रविवार को राजधानी में अाह्वान किया कि औद्योगिक हड़ताल को आम हड़ताल में बदल दें. ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका असर दिखना चाहिए. केंद्र सरकार की नाकामियों के खिलाफ लोगों को सड़क पर उतरना चाहिए.
कांग्रेस शासन में इंटक व भाजपा में बीएमएस से मिलता रहा धोखा: ट्रेड यूनियनों का कोई भी आंदोलन शुरू में पूरी एकता के साथ शुरू होता है. इसमें 11 मान्यता प्राप्त ट्रेड यूनियनें (बीएमएस, एटक, सीटू, इंटक और एचएमएस सहित) शामिल होती हैं. आंदोलन की शुरुआत में सभी एक साथ चलने और अंजाम तक पहुंचाने का दावा करते हैं. आंदोलन का अंतिम समय आते ही एक कुछ यूनियनें किनारा कर लेती हैं. जब कांग्रेस का केंद्र में शासन होता है, तो इंटक और जब भाजपा का शासन है, तो भारतीय मजूदर संघ (बीएमएस) ऐसा कर रही है. 28 अगस्त को दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ मजदूर प्रतिनिधियों की बैठक हुई थी.
बैठक के बाद भारतीय मजदूर संघ ने दो सितंबर की हड़ताल में शामिल होने से मना कर दिया. दो सितंबर की हड़ताल की घोषणा 26 मई 2015 को दिल्ली के मालवेलकर हॉल में 11 मान्यता प्राप्त ट्रेड यूनियन के कंवेशन में हुई थी. इसमें तय किया गया था कि सरकार का वर्तमान रवैया मजदूरों के हित में नहीं है. इस कारण आंदोलन अवश्यंभावी है.
बड़कासयाल में गेट मीटिंग
दो सितंबर की हड़ताल को सफल बनाने के लिए बड़कासयाल में गेट मीटिंग का आयोजन किया गया. इसमें एटक अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कोयला क्षेत्र में लोगों को ज्यादा से ज्यादा सक्रिय होकर आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया. सीटू नेता आरपी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार 39 श्रम कानूनों को समाप्त करना चाह रही है. इसका व्यापक असर आद्यौगिक क्षेत्रों पर पड़ेगा. इस मौके पर इंटक, एटक, एचएमएस के प्रतिनिधि भी थे.