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सी-सैट पर सात दिनों में फैसला, कमेटी बनी

वरीय संवाददाता, रांची मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विधानसभा में कहा कि जेपीएससी की परीक्षा में सी-सैट रहेगा या नहीं, इस पर फैसला सात दिनों में हो जायेगा. सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनायी है. कमेटी को सात दिनों में अनुशंसा देने को कहा गया है. कमेटी पड़ोसी राज्यों की स्थिति […]

वरीय संवाददाता, रांची
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विधानसभा में कहा कि जेपीएससी की परीक्षा में सी-सैट रहेगा या नहीं, इस पर फैसला सात दिनों में हो जायेगा. सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनायी है. कमेटी को सात दिनों में अनुशंसा देने को कहा गया है. कमेटी पड़ोसी राज्यों की स्थिति का आकलन भी करेगी. मुख्यमंत्री विपक्ष के सी-सैट हटाने की मांग के बाद शुक्रवार को सदन में उत्पन्न गतिरोध के बाद बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कमेटी उम्र सीमावाले विवाद पर भी रिपोर्ट देगी. एसएसी व एसटी के परीक्षा देने की कोई सीमा जेपीएससी में निर्धारित नहीं रहेगी.

सिकिदरी मामले की जांच सीबीआइ करेगी : मुख्यमंत्री ने सदन में सिकिदरी हाइडल के जीर्णोद्धार में हुई गड़बड़ी की जांच सीबीआइ से कराने की घोषणा की है. सरकार ने योजना विभाग के सचिव से जांच करायी थी. 20 करोड़ 87 लाख रुपये के कार्य में अनियमितता की बात सामने आयी है. इसमें बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसएन वर्मा, आलोक शरण, जीएनएस मुंडा, टीएन टाम, बीके चौबे व प्रवीण कुमार को भी दोषी पाया गया है. नइपीएल को भी सरकार ने ब्लैक लिस्टेड करने का निर्णय लिया है.
स्थानीय नीति साल के अंत तक : सीएम ने कहा कि हेमंत सोरेन ने स्थानीयता नहीं लागू करने के मुद्दे पर ही अर्जुन मुंडा की सरकार को गिरा दिया था. अपनी सरकार में वह स्थानीय नीति नहीं तय कर पाये. अभी की सरकार इस साल के अंत तक स्थानीय नीति बना देगी. सरकार इसमें सबका सहयोग चाहती है, लेकिन जेएमएम, जेवीएम और कांग्रेस ने अब तक अपनी बात लिखित रूप से नहीं दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पारा शिक्षकों के मुद्दे को लेकर भी सरकार गंभीर है. उनको सरकार ने जो तय किया है. उसकी जानकारी दे दी गयी है.
सरकार ने वापस लिया विधेयक
रांची. राज्य सरकार ने सदन में पेश झारखंड इंडस्ट्रीज सुविधा एवं सिंगल विंडो क्लियरेंस विधयेक-2015 वापस ले लिया. इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव ने नाराजगी जतायी है. उन्होंने कहा : सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. प्रशासी विभाग (उद्योग) और मुख्य सचिव को पूरे मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. भारी मन से इसे वापस लेने की अनुमति दे रहा हूं. अगले हाउस में इसे लाने का प्रयास करें. शुक्रवार को विधेयक प्रभारी मंत्री के रूप में सरयू राय ने सदन में पेश किया था.
इस पर चर्चा के बाद विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का निर्णय लिया गया था. आलमगीर आलम का तर्क था कि विधेयक की प्रति आज ही दी गयी है. अध्ययन करने का समय नहीं मिल पाया है. प्रदीप यादव का तर्क था कि इस विधेयक के लागू होने से 25 विभागों के कई अधिनियम निरस्त हो जायेंगे. विषय व्यापक है.

राधाकृष्ण किशोर जिला स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी में प्रभारी मंत्री को रखना चाह रहे थे. प्रभारी मंत्री सरयू राय के तर्क के बाद सदन ने सर्वसम्मित से तय किया कि विधेयक को प्रवर समिति को दिया जाये. अध्यक्ष ने इसे 15 दिनों के लिए प्रवर समिति को सौंप दिया. बाद में प्रभारी मंत्री ने इसे वापस किये जाने का आग्रह आसन से किया. प्रदीप यादव और आलमगीर आलम ने कहा कि जब मामला प्रवर समिति को भेजा गया है, तो इसे सरकार वापस क्यों लेना चाहती है. दोनों पक्ष के चर्चा के बीच अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव ने नाराजगी जताते हुए विधयेक वापस लेने की अनुमति दी.

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