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एक वर्ष के अनुबंध पर नियुक्त हुए थे, अब कह रहे हैं बिना परीक्षा िलये कर दो स्थायी
सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रत्येक एक किलोमीटर पर प्राथमिक व दो किलोमीटर पर मध्य विद्यालय खोलने का अभियान शुरू किया गया. झारखंड में राज्य गठन के समय प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की संख्या लगभग 19 हजार थी. सर्व शिक्षा अभियान शुरू होने के बाद विद्यालयों की संख्या आज बढ़ कर लगभग 41 हजार हो […]
सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रत्येक एक किलोमीटर पर प्राथमिक व दो किलोमीटर पर मध्य विद्यालय खोलने का अभियान शुरू किया गया. झारखंड में राज्य गठन के समय प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की संख्या लगभग 19 हजार थी. सर्व शिक्षा अभियान शुरू होने के बाद विद्यालयों की संख्या आज बढ़ कर लगभग 41 हजार हो गयी. झारखंड में 19,257 इजीएस से प्राथमिक विद्यालय व 10,258 प्राथमिक से मध्य विद्यालय में अपग्रेड हुए स्कूल हैं. सभी विद्यालय पूरी तरह पारा शिक्षकों के भरोसे हैं. राज्य में पारा शिक्षकों के कुल 122,678 पद हैं, जिनमें से 78,554 पारा शिक्षक कार्यरत हैं. पारा शिक्षकों की नियुक्ति अभियान के तहत अस्थायी रूप से की गयी है. वे अब अपनी सेवा स्थायी करने की मांग कर रहे हैं. राजनीतिक दल भी उनके आंदोलन को हवा देते रहते हैं. विपक्ष में होने की स्थिति में नेता पारा शिक्षकों के पक्ष में आंदोलन करते हैं और सत्ता में आने पर मांग को गलत ठहराते हैं. पारा शिक्षक जब भी आंदाेलन करते हैं तब सरकार मानदेय में बढ़ोतरी कर देती है. पारा शिक्षक इस बार मानदेय बढ़तोरी पर आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं हैं. सुनील झा की िरपोर्ट.
संवाददाता, रांची
पारा शिक्षक अपनी नियुक्ति के बाद से सेवा स्थायी करने की मांग कर रहे हैं. सेवा स्थायी करने व वेतनमान की मांग को लेकर अब तक 166 दिन हड़ताल कर चुके हैं. वर्ष भर आंदोलन ही चलता रहता है. साल में शायद ही विधानसभा का कोई ऐसा सत्र होता हो, जिसमें पारा शिक्षकों का धरना- प्रदर्शन नहीं होता हो. पारा शिक्षक जिसकी मांग कर रहे हैं, नियुक्ति शर्त में उसका प्रावधान नहीं है. राज्य के पारा शिक्षकों की नियुक्ति अस्थायी रूप से एक अभियान के तहत की गयी है. पारा शिक्षकों की नियुक्ति ग्राम शिक्षा समिति के माध्यम से की जाती है. इसके लिए कोई परीक्षा नहीं ली जाती है. शिक्षकों की नियुक्ति एक वर्ष के लिए अनुबंध पर होती है. सेवा संतोषजनक रहने पर अनुबंध आगे बढ़ाने का प्रावधान है. एक वर्ष के बाद ग्राम शिक्षा समिति द्वारा शिक्षक के कार्य की समीक्षा करने का प्रावधान है, पर ऐसा होता नहीं है. प्रावधान के अनुरूप सेवा संतोषजनक नहीं होने पर ग्राम शिक्षा समिति पारा शिक्षकों को हटाने की भी अनुशंसा कर सकती है. पारा शिक्षकों की नियुक्ति में उन्हें स्थायी करने का प्रावधान नहीं है. पारा शिक्षक स्थायी करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
नियुक्ति के लिए नहीं होती कोई परीक्षा
पारा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कोई लिखित परीक्षा नहीं होती. पारा शिक्षकों का कैडर स्कूल स्तर का होता है. शिक्षक का स्थानांतरण एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में भी नहीं किया जा सकता है. पारा शिक्षकों की नियुक्ति छात्र संख्या के आधार पर की गयी है. 40 विद्यार्थी पर एक पारा शिक्षक नियुक्त किये गये हैं.
अप्रशिक्षित हैं कई पारा शिक्षक
शत-प्रतिशत पारा शिक्षकों का प्रशिक्षण अब तक पूरा नहीं हुआ है. लगभग 20 हजार पारा शिक्षक अब भी अप्रशिक्षित हैं. पारा शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए शिक्षा विभाग ने नेशनल ओपन स्कूल से समझौता किया है. पारा शिक्षकों की परीक्षा नेशनल ओपन स्कूल के माध्यम से ली जायेगी. इग्नू के माध्यम से भी पारा शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
आरटीई में पात्रता परीक्षा का प्रावधान
शिक्षा अधिकार अधिनियम में पारा शिक्षकों के लिए भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) को अनिवार्य बनाया गया है. राज्य में वर्ष 2010 से शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू है. अधिनियम के अनुरूप प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कक्षा एक से पांच में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण के साथ-साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा पास होना अनिवार्य है. छह से आठ में बीएड होना अनिवार्य है.
वर्ष 2010 से बंद है िशक्षकों की नियुक्ति
राज्य में पारा शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2010 से बंद है. पारा शिक्षकों की नियुक्ति तीन वजह से हुई है. सर्व शिक्षा अभियान के तहत नये प्राथमिक विद्यालय खुलने से, प्राथमिक विद्यालय को मध्य विद्यालय में अपग्रेड किये जाने से व 40 विद्यार्थी के अनुपात में शिक्षक नहीं होने से.
पारा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया
पारा शिक्षकों की नियुक्ति के पूर्व स्कूलों में छात्र संख्या का सर्वेक्षण किया जाता है. छात्र संख्या के आधार पर आवश्यकता के अनुरूप जिला स्तर से विद्यालय के नाम व आवश्यक शिक्षकों की संख्या के अनुरूप विज्ञापन जारी किया जाता है. निर्धारित तिथि को ग्राम शिक्षा समिति की बैठक होती है. योग्यता को प्राथमिकता देते हुए चयनित नामों की अनुशंसा प्रखंड शिक्षा समिति से की जाती है. समिति में अनुशंसित नामों की फिर से जांच की जाती है. इसके बाद नियुक्ति की अनुशंसा की जाती है.
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