इससे पहले करीब डेढ़ वर्ष तक रिम्स को प्रभारी निदेशक के जरिये संचालित किया गया. िनयुक्ति के तुरंत बाद प्रभात खबर से बातचीत में श्री शेरवाल ने कहा िक रिम्स में छह माह में बदलाव दिखने लगेगा. समस्याओं को चिह्नित कर उसका समाधान किया जायेगा. रिम्स को कैसे बेहतर बनाया जाये, जिससे आम मरीज को लाभ मिले़
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डॉ बीएल शेरवाल बने रिम्स निदेशक, प्रभात खबर से कहा छह माह में दिखने लगेगा बदलाव
संवाददाता, रांची स्वास्थ्य विभाग ने डॉ बीएल शेरवाल को रिम्स का नया स्थायी निदेशक नियुक्त किया है. इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है. गौरतलब है कि 18 अगस्त को स्थायी निदेशक के लिए साक्षात्कार हुआ था. मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने प्रोजेक्ट भवन में कुल 21 उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया था. […]
संवाददाता, रांची
स्वास्थ्य विभाग ने डॉ बीएल शेरवाल को रिम्स का नया स्थायी निदेशक नियुक्त किया है. इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है. गौरतलब है कि 18 अगस्त को स्थायी निदेशक के लिए साक्षात्कार हुआ था. मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने प्रोजेक्ट भवन में कुल 21 उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया था. इससे पहले योग्यता निर्धारित कर इच्छुक प्रतिभागियों से आवेदन आमंत्रित किये गये थे.
इससे पहले करीब डेढ़ वर्ष तक रिम्स को प्रभारी निदेशक के जरिये संचालित किया गया. िनयुक्ति के तुरंत बाद प्रभात खबर से बातचीत में श्री शेरवाल ने कहा िक रिम्स में छह माह में बदलाव दिखने लगेगा. समस्याओं को चिह्नित कर उसका समाधान किया जायेगा. रिम्स को कैसे बेहतर बनाया जाये, जिससे आम मरीज को लाभ मिले़
रिम्स के नवनियुक्त निदेशक डॉ बीएल शेरवाल ने प्रभात खबर संवाददाता राजीव पांडेय से विशेष बातचीत में ये बातें कहीं. प्रस्तुत है बातचीत के अंश.
दिल्ली के बड़े अस्पताल में सेवा देने के बाद झारखंड आ रहे हैं, क्या योजना है आपकी.
समस्याएं तो हर संस्थान में होती है, लेकिन उसका निदान भी संस्थान को ही करना होता है. अगर सच्चे मन से काम किया जाये तो उसका प्रतिफल अपने आप दिखने लगेगा. हमारी यही प्राथमिकता होगी कि राज्य के गरीब मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए बाहर नहीं जाना पड़े. हर विभाग अपने आप में रोल मॉडल बने. अच्छी सेवा के लिए होड़ हो.
अच्छी सेवा के लिए प्रबंधन एवं चिकित्सकों में समन्वय बहुत जरूरी है, इसके लिए क्या करेंगे.
समन्वय से ही हम बेहतर सेवा दे सकते है. चिकित्सकों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं की जानकारी लेंगे. यह देखा जायेगा कि आखिर चिकित्सकों को क्या समस्या आ रही है. बेसिक समस्या क्या है. कैसे इसका निदान किया जा सकता है. योगदान देने के बाद पहला कार्य चिकित्सकों के साथ बैठक ही होगी. आपको बदलाव के लिए मुझे छह माह का समय देना होगा.
मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थी पढ़ते है, उनसे अस्पताल भी चलता है,आप क्या सोचते है.
मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थी ही अहम होते हैं. उनके साथ भी बैठक करेंगे. उनकी समस्याओं की जानकारी लेंगे. कैसे उसका निदान किया जा सकता है, इसके बारे में साेचेंगे.
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