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कृत्रिम गर्भाधान के लिए अब दो एजेंसी

रांची: राज्य के पशुपालकों के पास अपने मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान (एआइ) के लिए अब दो एजेंसियों का विकल्प होगा. भारत एग्रो इंडस्टी फाउंडेशन (बैफ) के कुल 1010 गर्भाधान केंद्र डेयरी निदेशालय के तहत पहले से संचालित हैं. पशुपालन विभाग ने वर्ष 2005-06 में बैफ के साथ नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाने संबंधी करार किया था. […]

रांची: राज्य के पशुपालकों के पास अपने मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान (एआइ) के लिए अब दो एजेंसियों का विकल्प होगा. भारत एग्रो इंडस्टी फाउंडेशन (बैफ) के कुल 1010 गर्भाधान केंद्र डेयरी निदेशालय के तहत पहले से संचालित हैं. पशुपालन विभाग ने वर्ष 2005-06 में बैफ के साथ नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाने संबंधी करार किया था.

अब पशुपालन विभाग की झारखंड इंपिलमेंटिंग एजेंसी ने जेके ट्रस्ट के साथ भी पांच वर्ष का समझौता किया है. इसके तहत ट्रस्ट विभाग कुल 430 केंद्रों का संचालन करेगा. इस तरह राज्य भर में गाय-भैंस के कृत्रिम गर्भाधान के लिए कुल 1440 केंद्र हो जायेंगे. दरअसल बैफ के गर्भाधान केंद्रों में भी एआइ की डिमांड अभी पर्याप्त नहीं है. बैफ को अपने केंद्रों के संचालन के लिए प्रति केंद्र कम से कम 10 हजार रु प्रति माह चाहिए. बैफ अभी एक एअाइ के लिए पशुपालकों से 150 रुपये लेता है. इस तरह एक केंद्र को कम से कम 70 एआइ केस चाहिए.

इधर, इन केंद्रों को अौसतन 50-55 केस ही मिल रहे हैं. जेके ट्रस्ट के आने के बाद पशुपालकों के पास एआइ के लिए दो विकल्प होंगे. वहीं दोनों एजेंसियों के बीच भी आपसी प्रतियोगिता भी होगी. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जेके एक एआइ के लिए सिर्फ 20 रुपये लेगा, जबकि बैफ का शुल्क 150 रुपये है. ऐसे में पशुपालक जेके को ज्यादा तरजीह देंगे. बैफ के लिए यह प्रतियोगिता कठिन होगी. उसके लिए जेके ट्रस्ट की तरह एआइ शुल्क 20 रुपये करना संभव नहीं है. ऐसा करने के लिए प्रति केंद्र को 500 एआइ करना होगा, जो असंभव है. हरियाणा व पंजाब जैसे राज्यों में भी प्रति केंद्र 150 से अधिक एआइ नहीं होते.
राज्य में गाय व भैंस
कुल गाय: 76.59 लाख (कॉस जर्सी-77 हजार, कॉस फिजियन-75 हजार). कुल भैंस : 13.43 लाख (मुर्रा भैंस-31 हजार).

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