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कई आइएएस नहीं बनाते बायोमीट्रिक अटेंडेंस

रांची : राज्य के कई आइएएस अधिकारी अब भी बायोमीट्रिक सिस्टम से अटेंडेंस नहीं बनाते हैं. मुख्य सचिव राजीव गौबा ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव स्तर के अधिकारियों से बायोमीट्रिक्स सिस्टम से उपस्थिति दर्ज कराने का अनुरोध किया है. उन्होंने विभागीय प्रमुखों को लिखे पत्र में कहा है कि […]

रांची : राज्य के कई आइएएस अधिकारी अब भी बायोमीट्रिक सिस्टम से अटेंडेंस नहीं बनाते हैं. मुख्य सचिव राजीव गौबा ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव स्तर के अधिकारियों से बायोमीट्रिक्स सिस्टम से उपस्थिति दर्ज कराने का अनुरोध किया है.
उन्होंने विभागीय प्रमुखों को लिखे पत्र में कहा है कि झारखंड में पहली जनवरी 2014 से नयी विधि से उपस्थिति दर्ज कराना अनिवार्य किया गया है. यह राज्य सरकार के सभी कार्यालयों में भी जरूरी किया गया है. उन्होंने कहा है कि कई वरिष्ठ पदाधिकारी इस प‍्रणाली से अब तक निबंधित भी नहीं हैं, जो निबंधित हैं, वे भी नियमित रूप से अपना अटेंडेंस नहीं बनाते हैं.
मुख्य सचिव ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि कई वरिष्ठ अधिकारी कार्यालय अवधि के बाद भी तथा छुट्टी के दिनों में भी सरकारी कार्यों का निबटारा करते हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से नयी प्रणाली में उपस्थिति दर्ज नहीं कराये जाने का असर उनके अधीन काम करनेवाले कर्मियों पर पड़ रहा है. इससे निचले स्तर के कर्मचारियों पर दवाब बनाये जाने पर दिक्कतें हो रही हैं. उन्होंने कहा है कि उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर सरकार का स्पष्ट निर्देश है. ऐसे में नियमित रूप से उपस्थिति दर्ज नहीं कराया जाना उचित नहीं है.
गृह सचिव एनएन पांडेय, स्वास्थ्य विभाग के प्रधानसचिव के विद्यासागर, कृषि सचिव डॉ नीतिन कुलकर्णी, कार्मिक विभाग के पूर्व प्रधान सचिव संतोष सतपथी और पूर्व परिवहन सचिव रतन कुमार ने नयी प्रणाली से अधिक अटेंडेंस बनाये हैं. इससे संबंधित आंकड़े भी मुख्य सचिव ने अपने पत्र के साथ संलग्न किया है
रांची. रामगढ़ के एक होटल में छह साल पहले हुए कथित दुष्कर्म के मामले में छह बेकसूरों को जेल भेजने के मामले में मुख्य सचिव ने जिम्मेदार पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है. कुछ दिन पहले डीजीपी ने इसी मामले की सीआइडी जांच का आदेश दिया था. इसके बाद सीआइडी के अधिकारी ने मामले में जांच शुरू कर दी है. साथ ही बेकसूर लोगों को जेल से छुड़ाने के लिए रिपाेर्ट तैयार की जा रही है. मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि जिन पुलिस पदाधिकारियों की गलती से छह बेकसूर लोग छह साल से जेल में बंद हैं, उन्हें चिन्हित कर कार्रवाई करें.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में रामगढ़ के मेन रोड स्थित एक होटल में कथित रूप से दुष्कर्म की घटना हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर होटल के मालिक समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. बाद में पुलिस ने इस मामले में अदालत में चार्जशीट दाखिल की. पिछले साल यह मामला सामने आया, जिसके बाद हुई जांच में यह बात सामने आया कि जिस युवती के साथ दुष्कर्म की बात कही गयी, वह मिल नहीं रही है. प्राथमिकी के वक्त जिस व्यक्ति ने खुद को युवती का पिता बताया, वह पटना का रहनेवाला है. लेकिन जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि उस व्यक्ति की बेटी के साथ कोई घटना नहीं हुई. इसके बाद मामले में रामगढ़ के एसपी ने पुन: अनुसंधान के लिए कोर्ट में आवेदन दिया है.
मेडिकल रिपोर्ट में भी पुष्टि नहीं : कथित दुष्कर्म की घटना के बाद युवती का मेडिकल चेकअप हुआ था. बेड पर मिले दाग की भी जांच करायी गयी थी. बेड पर मिले स्पर्म के दाग की जांच से यह बात भी प्रमाणित हो चुकी है कि जिन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है, उनके डीएनए से वह मेल नहीं खाता है.

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