22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ऐसे ही बनता है सरकार पर भरोसा

आनंद मोहन, रांची सावन की दूसरी सोमवारी को बाबा धाम में भगदड़ से 10 कांवरियों की मौत हो गयी. इस घटना से पूरा झारखंड मर्माहत है. तड़के 4.45 बजे की घटना थी. स्थानीय प्रशासन में अफरा-तफरी मच गयी. प्रशासन के सामने 50 से ज्यादा घायल श्रद्धालुओं के बेहतर ईलाज की चुनौती थी. पूरी घटना पर […]

आनंद मोहन, रांची
सावन की दूसरी सोमवारी को बाबा धाम में भगदड़ से 10 कांवरियों की मौत हो गयी. इस घटना से पूरा झारखंड मर्माहत है. तड़के 4.45 बजे की घटना थी. स्थानीय प्रशासन में अफरा-तफरी मच गयी. प्रशासन के सामने 50 से ज्यादा घायल श्रद्धालुओं के बेहतर ईलाज की चुनौती थी.
पूरी घटना पर देवघर का स्थानीय प्रशासन जितनी तेजी से रियेक्ट करता, उससे पहले सत्ता शीर्ष पर बैठे लोग एक्शन में आ गये. मुख्यमंत्री के स्तर से कार्रवाई शुरू हो गयी. सुबह सात बजे के करीब ही मृतक कांवरियों को 2-2 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा हो गयी.
सरकार के आला अधिकारियों की टीम तुरंत देवघर भेज दी गयी. मुख्यमंत्री ने सोमवार की सुबह-सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से बात की. गृह मंत्री से रैफ की मदद मांगी गयी. केंद्र सरकार ने देवघर के लिए रैपिड एक्शन फोर्स की दो कंपनी की तैनाती भी देर शाम तक कर दी .
जैप चार के कमांडेट नवीन कुमार सिन्हा देवघर भेज दिये गये. सीआरपीएफ की तीन कंपनियां तैनात की गयी. यह सबकुछ घटना के 12 घंटे के अंदर ही हो गया. एक तरफ राहत कार्य चल रहा था, दूसरी तरफ सरकार ने पूरी घटना की एकाउंटिबिलिटी तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. घटना की जांच की जिम्मेवारी गृह सचिव एनएन पांडेय को सौंप दी गयी. एडीजी एसनएन प्रधान, आरइओ सचिव एसआर मीणा, स्वास्थ्य निदेशक प्रमुख सुमंत मिश्रा की टीम देवघर पहुंच गयी. निगरानी आइजी मुरारी लाल मीणा, स्वास्थ्य सचिव के विद्यासागर भी देवघर पहुंचे थे.
झारखंड में पहली बार हुआ कि कोई जांच टीम 12 घंटे के अंदर किसी निष्कर्ष पर पहुंची. सरकार मामले के टाल-मटोल के मूड में नहीं थी. पहली बार प्रशासनिक महकमे के बड़े अधिकारी की जवाबदेही भी तय हुई. शाम सात बजे गृह सचिव ने राजधानी में प्रेस कांफ्रेंस किया. देवघर के उपायुक्त अमित कुमार, एसपी पी मुरुगन और रीजनल हेल्थ डायरेक्टर शिवकुमार, सिविल सर्जन डॉ दिवाकर कामत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. यह है सरकार के काम करने का तरीका.
ऐसे ही काम से सरकार का इकबाल बनता है. सरकार के मताहत काम करने वालों की जवाबदेही तय होती है. सरकार चाहती, तो एक महीने बाद जांच रिपोर्ट सामने ला सकती थी. झारखंड में शायद ही कभी गलतियों के लिए कोई आइएएस पर ऐसी कार्रवाई हुई है. सवाल यह भी नहीं है कि आप हर गलती के लिए आइएएस या आला अधिकारी को दंडित करें, लेकिन ऐसी घटनाओं के लिए सरकार समझौता परस्त भी नहीं हो सकती है.
राजकाज चलाने वालों की जवाबदेही ताे तय होनी ही चाहिए. शासन व्यवस्था में सरकार का भय खत्म कर, अराजक माहौल नहीं बनाया जा सकता है. सत्ता शीर्ष पर बैठे लोग ऐसी कार्रवाई तब ही कर पायेंगे, जब उनकी खुद की ईमानदारी और निष्ठा प्रमाणित हो. सवाल 10 लोगों की जान का है. सवाल प्रशासनिक लापरवाही और उसे चिह्नित कर जवाबदेही तय करने का भी था. यह सबकुछ सरकार ने कर दिखाया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें