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अलकेमिस्ट के खिलाफ सीबीआइ जांच पर रोक

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को चिट फंड कंपनी अलकेमिस्ट इंफ्रा रियलिटी लिमिटेड के खिलाफ चल रही सीबीआइ जांच पर रोक लगा दी. रोक अगली तिथि तक जारी रहेगी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने झारखंड अगेंस्ट करप्शन सहित अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है. […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को चिट फंड कंपनी अलकेमिस्ट इंफ्रा रियलिटी लिमिटेड के खिलाफ चल रही सीबीआइ जांच पर रोक लगा दी. रोक अगली तिथि तक जारी रहेगी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने झारखंड अगेंस्ट करप्शन सहित अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है. प्रतिवादियों को शपथ पत्र के माध्यम से अपना पक्ष रखने को कहा है. अगली सुनवाई आठ सितंबर को होगी.
कोर्ट से पुनर्विचार का किया आग्रह : पूर्व केंद्रीय मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रार्थी की ओर से पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि कोर्ट ने जिस मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया था, उसमें प्रार्थी पार्टी नहीं थी. प्रार्थी अलकेमिस्ट इंफ्रा रियलिटी लिमिटेड का पक्ष नहीं सुना गया. कंपनी भाग नहीं रही है. कंपनी ने किसी के साथ गलत नहीं किया है.
1127 करोड़ रुपये सेबी के पास जमा कराये जा चुके हैं. कंपनी इसका बैंक स्टेटमेंट भी दे रही है. शेष राशि जमा करने की प्रक्रिया चल रही है. कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पूर्व के आदेश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. प्रार्थी अलकेमिस्ट इंफ्रा रियलिटी लिमिटेड ने मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश व प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार उपस्थित थे.
11 मई को हाइकोर्ट ने दिया था सीबीआइ जांच का आदेश
हाइकोर्ट ने झारखंड अगेंस्ट करप्शन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 मई को चिट फंड कंपनियों की धोखाधड़ी की जांच सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया था. हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआइ ने 28 चिट फंड कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की. चिट फंड घोटाले से संबंधित कई अन्य मामलों में भी कोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने किया था रिमांड बैक
चिट फंड कंपनी अलकेमिस्ट इंफ्रा रियलिटी लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद प्रार्थी ने हाइकोर्ट में पुनर्विचार याचिका (सिविल रिव्यू) दायर की है. इसमें कहा है कि जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उसका पक्ष नहीं सुना गया. कंपनी उस मामले में पार्टी नहीं थी. बिना पक्ष सुने ही हाइकोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दे दिया.

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