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एस्सार इंटरप्राइजेज की करोड़ों की संपत्ति की खरीद-बिक्री पर रोक

रांची : भू-राजस्व सचिव केके सोन ने श्यामल चक्रवर्ती की संस्था एस्सार इंटरप्राइजेज के नाम खरीदी गयी 15 कट्ठा 10 छंटाक जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी है. उन्होंने यह कार्रवाई नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय(इडी) के अनुरोध पर की है. इडी ने एनआरएचएम घोटाले की […]

रांची : भू-राजस्व सचिव केके सोन ने श्यामल चक्रवर्ती की संस्था एस्सार इंटरप्राइजेज के नाम खरीदी गयी 15 कट्ठा 10 छंटाक जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी है. उन्होंने यह कार्रवाई नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय(इडी) के अनुरोध पर की है.

इडी ने एनआरएचएम घोटाले की जांच के दौरान यह पाया कि एस्सार इंटरप्राइजेज के नाम से वर्ष 2006 में जमीन खरीदी गयी थी. 24 मार्च 2006 को सेल डीड संख्या 4272 के सहारे इस जमीन की खरीद की गयी थी. सेल डीड में जमीन का होल्डिंग नंबर 186,188 198 और प्लॉट नंबर 743,745 व 746 , थाना लालपुर मौजा डिप्टीपाड़ा-चड़री दर्ज है. सेल डीड में जमीन की कीमत 14 लाख 71 हजार रुपये दर्ज है. फिलहाल इस जमीन की कीमत पांच करोड़ रुपये से अधिक बतायी जाती है.

जमीन का मालिकाना हक उमा चंद्र शेखर, नलिनी श्रीधर कालिया, रंजना, हेमंत नारायण भागवत, अनुराधा, वृंदा भागवत और सुभाष एन भागवत के पास था. इन लोगों की जमीन की बिक्री के लिए पुणो के श्रीधर राव को पावर ऑफ एटर्नी दिया गया था.

एस्सार ने जमीन की खरीद राव के माध्यम से की थी. जांच पड़ताल के दौरान इस जमीन की जानकारी मिलने के बाद इडी ने भू-राजस्व सचिव को पत्र लिख कर इसकी जानकारी दी. साथ ही यह भी कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट 2002 के तहत एनआरएचएम घोटाले से जुड़े लोगों की संपत्ति आदि की जांच की जा रही है. ऐसी संभावना है कि एनआरएचएम घोटाले के अभियुक्तों ने नाजायज धन से यह संपत्ति खरीदी है, इसलिए इस संपत्ति की खरीदी बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगायें, ताकि जांच में किसी तरह का व्यवधान नहीं हो.

इडी के इस पत्र के आलोक में सचिव ने इस जमीन के हस्तांतरण पर रोक लगा दी है. साथ ही आदेश की प्रति उपायुक्त के सहायक निबंधक को भेज दी है. उल्लेखनीय है कि एस्सा इंटरप्राइजेज श्यामल चक्रवर्ती और आइएएस अधिकारी डॉक्टर प्रदीप के भाई राजेंद्र कुमार का पार्टनरशिप फर्म है. यह संस्था निर्माण कार्य से जुड़ी है.

शैलजा अपार्टमेंट का निर्माण इसी संस्थान ने किया है. बताया जाता है कि एनआरएचएम घोटाले के उजागर होने के बाद से डॉक्टर प्रदीप कुमार के भाई सन्यासी हो गये हैं. सीबीआइ ने भी एनआरएचएम घोटाले में उनकी तलाश की थी.हालांकि इसमें सीबीआइ को कामयाबी नहीं मिल सकी थी.

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