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गिरोह विकास ही चला रहा था

रांची : सुशील श्रीवास्तव हत्याकांड के आरोपी गैंगस्टर विकास तिवारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. हजारीबाग कोर्ट परिसर में दिन दहाड़े सुशील श्रीवास्तव की हत्या सिर्फ किशोर पांडेय की हत्या का बदला लेने की कार्रवाई नहीं थी. दरअसल हत्या की असली वजह कुजू से खलारी तक रेलवे के रैक लोडिंग के कारोबार से […]

रांची : सुशील श्रीवास्तव हत्याकांड के आरोपी गैंगस्टर विकास तिवारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. हजारीबाग कोर्ट परिसर में दिन दहाड़े सुशील श्रीवास्तव की हत्या सिर्फ किशोर पांडेय की हत्या का बदला लेने की कार्रवाई नहीं थी.
दरअसल हत्या की असली वजह कुजू से खलारी तक रेलवे के रैक लोडिंग के कारोबार से हर माह मिलने वाला करोड़ों की रंगदारी थी. पुलिस के सीनियर अधिकारी भी इसे स्वीकारते हैं.
भोला पांडेय और सुशील श्रीवास्तव गिरोह के बीच 20 सालों से चली आ रही गैंगवार की घटनाओं में कई सफेदपोशों की भी भूमिका रहती है, क्योंकि रंगदारी की रकम में पुलिस-नेताओं की हिस्सेदारी भी बंधी रहती है. विकास तिवारी, भोला पांडेय गिरोह का सरगना है. पहले भोला पांडेय और फिर पिछले साल किशोर पांडेय की हत्या के बाद गिरोह का संचालन विकास तिवारी ही कर रहा था.
कुजू से लेकर खलारी के बीच करीब आधा दर्जन स्टेशनों पर कोयले को रेलवे के रैक पर लोड किया जाता है. कोयले के इस वैध-अवैध कारोबार से मिलने वाली रंगदारी की रकम प्रति माह करोड़ों रुपये की है.
इसलिए आपराधिक गिरोह इस इलाके पर वर्चस्व बनाते हैं. अक्सर यह बात सामने आती है कि किसी खास गिरोह को पुलिस व नेताओं का संरक्षण मिल रहा है. इन बातों की पुष्टि उस वक्त उस गिरोह के बढ़ते प्रभाव से भी होती है. दूसरा गिरोह कमजोर पड़ जाता है.
कुछ समय बाद दूसरा गिरोह मजबूत होता है. यह सिलसिला चलता रहता है. बड़े कोयला कारोबारी भी आपराधिक गिरोहों के बीच गैंगवार को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं. ऐसे कारोबारी पुलिस-नेता और अपराधी के बीच बिचौलिये का काम करते हैं.

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