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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कंपनियां कर रहीं मनमानी

रांची : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य की सात औद्योगिक इकाइयां वैट के रूप में जनता से वसूली गयी 4.61 करोड़ की राशि सरकार को देने में आनाकानी कर रही हैं. न्यायालय के आदेश के बाद विभागीय अधिकारियों ने भी राशि की वसूली में दिलचस्पी नहीं दिखायी. मामले की गंभीरता को देखते हुए […]

रांची : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य की सात औद्योगिक इकाइयां वैट के रूप में जनता से वसूली गयी 4.61 करोड़ की राशि सरकार को देने में आनाकानी कर रही हैं. न्यायालय के आदेश के बाद विभागीय अधिकारियों ने भी राशि की वसूली में दिलचस्पी नहीं दिखायी. मामले की गंभीरता को देखते हुए वाणिज्यकर सचिव निधि खरे ने विभागीय अधिकारियों को इस राशि की वसूली करने का आदेश दिया है. साथ ही वसूली में लापरवाही बरतनेवाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की चेतावनी दी है.
राज्य में औद्योगिक नीति के तहत निवेशकों के प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार के छूट दिये गये थे. छूट का संबंध वाणिज्यकर अधिनियम में भी किया गया था. वर्ष 2005-06 में वाणिज्यकर नियमावली के बदले वैट लागू किया गया. वैट में संबंधित उद्योगों को टैक्स में छूट देने का प्रावधान नहीं था, जबकि पहले से लागू प्रावधानों के तहत उद्योगों को और कई वर्षो तक छूट मिलना था.
इस बात के मद्देनजर वैट लागू होने के बाद संबंधित औद्योगिक इकाइयों की ओर से छूट जारी रखने की मांग की गयी. बाद में औद्योगिक इकाइयों व सरकार के बीच इस मुद्दे पर कानूनी विवाद शुरू हुई. झारखंड हाइकोर्ट ने व्यापारियों के पक्ष में फैसला सुनाया. सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सितंबर 2007 में अंतरिम आदेश दिया. इसमें अदालत ने औद्योगिक इकाइयों को यह आदेश दिया कि वे सामग्रियों की बिक्री के दौरान वैट की वसूली जारी रखें. इसका लेखा-जोखा रखें. उसका ऑडिट करायें. अदालत का फैसला अगर सरकार के पक्ष में हो, तो उपभोक्ताओं से वसूली गयी वैट की राशि सूद सहित सरकार को लौटा दें.
न्यायालय के इस अंतरिम आदेश के आलोक में इन औद्योगिक इकाइयों ने वैट की राशि वसूल कर अपने पास रखना शुरू किया. वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. इस फैसले के आलोक में टाटा स्टील ने 186.70 करोड़ की राशि में से 25 करोड़ रुपये छह माही के हिसाब से सरकार को लौटाना शुरू किया.
टाटा स्टील ने 186.70 करोड़ की राशि में से अब तक 135 करोड़ रुपये का भुगतान सरकार को कर दिया है. पर,न्यायालय के आदेश के बावजूद अन्य कंपनियों ने जनता से टैक्स के रूप में वसूली गयी राशि अब तक सरकार को नहीं लौटायी.

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