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एक प्रतिशत बाजार शुल्क हटाने का मामला
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को एक प्रतिशत बाजार शुल्क वसूलने के प्रावधान को समाप्त करने को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीसरा व अंतिम अवसर प्रदान किया. पूर्व में जवाब देने के लिए सरकार को दो बार मौका मिल चुका है. महाधिवक्ता विनोद पोद्दार द्वारा जवाब देने के […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को एक प्रतिशत बाजार शुल्क वसूलने के प्रावधान को समाप्त करने को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीसरा व अंतिम अवसर प्रदान किया. पूर्व में जवाब देने के लिए सरकार को दो बार मौका मिल चुका है.
महाधिवक्ता विनोद पोद्दार द्वारा जवाब देने के लिए समय मांगे जाने पर चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए स्पष्ट जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पूछा कि बाजार शुल्क हटाने संबंधी अध्यादेश (ऑर्डिनेंस) को राज्य सरकार वापस लेगी अथवा नहीं.
सरकार को इसके बाद कोई मौका नहीं मिलेगा. कोर्ट आदेश पारित करेगा. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने बाजार शुल्क के प्रावधान को कानून से हटाये जाने की कार्रवाई को गलत बताते हुए सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा था. सरकार इस पर टाल मटोल कर रही है.
स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश
झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में जलस्रोतों के उचित रख रखाव को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया.
चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि यह मामला लंबे समय से चल रहा है. नदियों सहित अन्य जलस्रोतों की आज क्या स्थिति है, उसकी जानकारी दी जाये. एमीकस क्यूरी इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्र ने पैरवी की.
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