24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रिम्स के नवनियुक्त प्रभारी निदेशक से बातचीत तानाशाही रवैया नहीं अपनाया जा सकता

रिम्स में बेहतर चिकित्सा सेवा बहाल की जायेगी. मरीज एवं चिकित्सकों के बीच मधुर संबंध बने, इसके लिए प्रयास करूंगा. रिम्स में चिकित्सा सेवा 24 घंटे की होगी. मरीज किसी भी समय आये, उसे बेहतर सेवा मिलेगी. चिकित्सकों की जहां ड्यूटी होगी, वह वहां मौजूद रहेंगे. इसके लिए चिकित्सकों को अपनी कार्यशैली में सुधार लाने […]

रिम्स में बेहतर चिकित्सा सेवा बहाल की जायेगी. मरीज एवं चिकित्सकों के बीच मधुर संबंध बने, इसके लिए प्रयास करूंगा. रिम्स में चिकित्सा सेवा 24 घंटे की होगी. मरीज किसी भी समय आये, उसे बेहतर सेवा मिलेगी. चिकित्सकों की जहां ड्यूटी होगी, वह वहां मौजूद रहेंगे. इसके लिए चिकित्सकों को अपनी कार्यशैली में सुधार लाने की आवश्यकता है. यह सरकारी संस्थान है, यहां तानाशाही रवैया नहीं अपनाया जा सकता. उक्त बातें मंगलवार को प्रभात खबर संवाददाता राजीव पांडेय से नवनियुक्त प्रभारी निदेशक डॉ शमीम हैदर ने कही. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश.
चिकित्सक दोनों पाली में समय से आयें, मरीजों को बेहतर चिकित्सा मिले, इसके लिए आपका क्या प्रयास होगा.
चिकित्सक दोनों पाली में समय पर आयें, इसके लिए उनके साथ बैठक कर उनकी समस्या को जाना जायेगा. मरीजों को 24 घंटे की सेवा मिलनी चाहिए, इसके लिए चिकित्सकों को अपनी कार्यशैली में सुधार लाने की आवश्यकता है. यह सरकारी संस्थान है, इसलिए तानाशाही रवैया अपना कर किसी को परिवर्तित नहीं किया जा सकता. अस्पताल में पीजी चिकित्सक हर समय मौजूद रहें, इसके लिए हर संभव कोशिश की जायेगी.
रिम्स में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल तो बन गया, लेकिन कई विंग काम नहीं कर रहे हैं. कब तक मरीजों को लाभ मिलने लगेगा.
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए चिकित्सक ही नहीं मिल पा रहे हैं. यहां का मौसम सुहाना है. मुङो लगता है झारखंड की अभी तक जो छवि सामने आयी है, इससे बाहर के चिकित्सकों को भय लग रहा है. हम प्रयास करेंगे कि चिकित्सक यहां आयें और अपना योगदान दें. अब वेतन की समस्या नहीं है. हालांकि आदमी की लालसा तो बनी ही रहती है. महानगर में सरकारी चिकित्सकों को निजी अस्पतालों में दो से तीन घंटे की सेवा देने की छूट मिल जाती है. दिक्कत तो है, लेकिन प्रयास किया जायेगा.
शहर में मेदांता जैसे बड़े अस्पताल आ रहे हैं. वे रिम्स से प्रतिस्पर्धा करेंगे. ऐसे में आपकी क्या योजना है.
हमारे चिकित्सकों की गुणवत्ता की तुलना मेदांता जैसे अस्पतालों से नहीं की जा सकती है. हमारे यहां बेहतर चिकित्सक हैं. हां, हमारे चिकित्सकों को इसके लिए समर्पण भाव से अपनी सेवा देनी होगी.आज भी मेदांता का बड़ा नाम है, लेकिन एम्स जैसे संस्थान में भीड़ क्यों रहती है. देश के विभिन्न राज्यों से एम्स में लोग इलाज कराने आते हैं. अगर हमारे चिकित्सकों में समर्पण भाव आ जायेगा, तो एम्स जैसी स्थिति रिम्स में होने लगेगी.
चिकित्सकों को एनपीए मिलता है, बावजूद इसके वे बाहर में निजी प्रैक्टिस करते हैं, इसके लिए क्या किया जायेगा.
एनपीए का कोई इश्यू होना ही नहीं चाहिए. जिन्हें एनपीए मिलता है, उनसे बांड लिखवाया जाये कि वे निजी प्रैक्टिस नहीं करते हैं. इसके बावजूद वे निजी प्रैक्टिस करते हैं, तो उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए. एनपीए को क्लिनिकल एवं नॉन क्लिनिकल में बांट दिया जाना चाहिए. इससे समस्या काफी हद तक दूर हो जायेगी.
सुरक्षा एजेंसी के नाम पर रिम्स हर माह 25 लाख रुपये खर्च करता है, बावजूद इसके सुरक्षा पर सवाल क्यों उठता है?
सुरक्षा एजेंसी के मालिक से बातचीत की जायेगी. आखिर इतना पैसा खर्च हो रहा है, तो सुरक्षा तो पुख्ता होनी चाहिए. अगर सुरक्षा एजेंसी सही काम नहीं करती है, तो उसे बदला जायेगा. रिम्स के बेहतरी के लिए किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जायेगा.
आपके निदेशक बनने के बाद मरीज के हित के लिए क्या किया जायेगा?
मरीज के हित के लिए ही रिम्स बना है. रिम्स की छवि लोगों में खराब हुई है, इसके लिए मीडिया की भी अहम भूमिका है. मीडिया सकारात्मक लेखन का कार्य करे. मरीज के हित के लिए चिकित्सकों को काम करना होगा. मरीज एवं चिकित्सकों में दोस्ताना संबंध स्थापित करना होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें