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मांडर कॉलेज: कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई ही नहीं होती

रांची: रांची विवि के नवांगीभूत कॉलेजों की श्रेणी में शामिल है मांडर कॉलेज मांडर. रांची-डालटनगंज सड़क के किनारे स्थित इस कॉलेज की स्थापना 1971 में हुई. आज इस कॉलेज में सात हजार 424 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. ग्रामीण इलाके के विद्यार्थियों के लिए इस कॉलेज का महत्व काफी है, लेकिन अभी तक इसका समुचित विकास नहीं […]

रांची: रांची विवि के नवांगीभूत कॉलेजों की श्रेणी में शामिल है मांडर कॉलेज मांडर. रांची-डालटनगंज सड़क के किनारे स्थित इस कॉलेज की स्थापना 1971 में हुई. आज इस कॉलेज में सात हजार 424 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. ग्रामीण इलाके के विद्यार्थियों के लिए इस कॉलेज का महत्व काफी है, लेकिन अभी तक इसका समुचित विकास नहीं हो पाया है.

विवि की तरफ से इस कॉलेज की घोर उपेक्षा हुई है. आज इस कॉलेज में शिक्षकों की संख्या 56 व कर्मचारियों की संख्या भी लगभग 56 है. लगभग 10 क्लास रूम हैं. कई शिक्षक व कर्मचारियों ने अपना प्रभाव दिखा कर शहर के कॉलेज में स्थानांतरित करा लिया है. इस कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई नहीं होती है. इलाके के विद्यार्थियों को इसके लिए शहर के कॉलेजों में आना पड़ता है. उपेक्षा का आलम यह है कि इस कॉलेज में क्लास रूम की कमी को देखते हुए एक दिसंबर 2006 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की ने एक भवन का शिलान्यास किया, लेकिन लगभग साढ़े आठ वर्ष बाद भी यह भवन अधूरा ही पड़ा हुआ है.

राज्य सरकार की ओर से उस समय 26 लाख रुपये की स्वीकृति मिली, लेकिन एक ही किस्त लगभग 13 लाख रुपये मिलने के बाद दूसरी किस्त नहीं मिली. इंटर की कक्षा के लिए न क्लास रूम है और न ही प्रयोगशाला. फलस्वरूप कई विद्यार्थी बिना प्रैक्टिकल की परीक्षा दे रहे हैं. शिक्षक भी नहीं हैं. किसी तरह डिग्री के शिक्षकों से पढ़ाई हो रही है. उर्दू विषय में मात्र एक ही शिक्षक हैं. कॉलेज परिसर में ही कई खपड़ैल मकान भी हैं, जहां कार्यालय के साथ-साथ कभी-कभार मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, इतिहास, राजनीतिशास्त्र व अंग्रेजी की कक्षाएं भी चलती हैं. बरसात में क्लास रूमों की स्थिति काफी खराब हो जाती है.

शौचालय की स्थिति तो और भी खराब है. चार-पांच शौचालय हैं, लेकिन कई को तोड़फोड़ दिया गया है, तो कई गंदे हैं. विवि की तरफ से चार लाख रुपये शौचालय निर्माण के लिए दिये गये हैं. लगभग 10 एकड़ जमीन में फैले इस कॉलेज में कई वर्षो से चहारदीवारी तक अधूरी है. लगभग पांच एकड़ में ही चहारदीवारी है, बाकी यूं ही पड़े हुए हैं.

फैक्ट फाइल
स्थापना : 1971
अंगीभूतिकरण : 1986
विद्यार्थियों की संख्या : 6500
शिक्षकों की संख्या : 56
कर्मचारियों की संख्या : 56
प्राचार्य का नाम : डॉ लादिर उरांव
कुल क्लास रूम : 10, स्थिति बहुत ही खराब
पढ़ाई : इंटर, बीए व बीकॉम (बीएससी की पढ़ाई नहीं होती)
स्टाफ रूम : नहीं है
कॉमन रूम : नहीं है.
रीडिंग रूम : नहीं है
प्रयोगशाला : नहीं है (आइएससी के छात्र बिना प्रैक्टिकल के परीक्षा देते हैं)
छात्रावास : निर्माणाधीन
शौचालय : हैं, लेकिन काफी गंदे
साइकिल स्टैंड : नहीं है
खेल मैदान : है
बिजली की स्थिति : है

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