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राज्य के तीन जिलों में अब तक डिग्री कॉलेज नहीं
रांची : देश में उच्च शिक्षा अभियान की शुरुआत हो गयी है. इधर, झारखंड के तीन जिलों में सरकार का कोई डिग्री कॉलेज नहीं है. राज्य बनने के 15 वर्षो बाद भी चतरा, लातेहार तथा सरायकेला-खरसांवा जिले के बच्चों को डिग्री कॉलेज नहीं मिला है. राज्य बनते वक्त तीन विश्वविद्यालय थे. रांची विश्वविद्यालय, विनोबा भावे […]
रांची : देश में उच्च शिक्षा अभियान की शुरुआत हो गयी है. इधर, झारखंड के तीन जिलों में सरकार का कोई डिग्री कॉलेज नहीं है. राज्य बनने के 15 वर्षो बाद भी चतरा, लातेहार तथा सरायकेला-खरसांवा जिले के बच्चों को डिग्री कॉलेज नहीं मिला है. राज्य बनते वक्त तीन विश्वविद्यालय थे. रांची विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय तथा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय.
आज सेंट्रल यूनिवर्सिटी को छोड़ कर छह विश्वविद्यालय (नये नीलांबर-पितांबर, कोल्हान व सिदो-कान्हू विवि) हैं. पर सरकारी क्षेत्र में कोई नया कॉलेज नहीं खुला. अंगीभूत कॉलेजों की वर्तमान संख्या सिर्फ 65 तथा मान्यता प्राप्त कॉलेजों की 55 है.
उधर, राज्य के 12 जिलों चतरा, देवघर, दुमका, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, गुमला, कोडरमा, पाकुड़, पलामू, प. सिंहभूम व साहेबगंज में नामांकन अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है. सरकार ने घोषणा की थी कि इन जिलों में मॉडल कॉलेज बनेगा, पर तीन वर्षो बाद भी यह काम आज तक शुरू नहीं हुआ है. कॉलेजों का निर्माण राज्य के पांच विश्वविद्यालयों के तहत किया जाना है.
इधर, अभी तक किसी मॉडल कॉलेज के लिए जमीन ही चिह्न्ति नहीं की गयी है. सिदो-कान्हू विवि को गोड्डा, देवघर, दुमका व साहेबगंज, नीलांबर- पीतांबर विवि को चतरा, गढ़वा, पाकुड़ व पलामू, विनोबा भावे विवि को गिरिडीह व कोडरमा, रांची विवि को गुमला तथा कोल्हान विवि को प.सिंहभूम में मॉडल कॉलेज बनाने हैं.
दरअसल उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई घोषणाएं तो की, पर इन पर अमल नहीं हुआ. अब सरकार सभी जिलों में एक महिला मॉडल कॉलेज खोलने की बात गत कुछ वर्षो से कर रही है. पहले चरण में 12 कॉलेज बनने हैं, पर जमीनी स्तर पर यह काम भी अभी शुरू नहीं हुआ है.
विवि को मिले करोड़ों रुपये का उपयोग नहीं
राज्य के पांच विश्वविद्यालयों को विभिन्न विकास कार्यो के लिए गत तीन वर्षो से एक सौ करोड़ रुपये अधिक मिल रहे हैं, पर इस पैसे का इस्तेमाल नहीं हो रहा. 12वीं पंचवर्षीय (2012-17) योजना के दौरान उच्च शिक्षा की स्थति दुरुस्त करने के लिए बनी योजना के तहत विश्वविद्यालयों को अंगीभूत कॉलेजों की संरचना विकास व इनके रखरखाव, कैंपस डेवलपमेंट, दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस एजुकेशन) के विकास, एडवांस साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, महिला व मॉडल कॉलेजों के निर्माण, लाइब्रेरी के आधुनिकीकरण तथा प्रयोगशालाओं के अपग्रेडेशन के लिए 769.71 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.
इसके बाद वित्तीय वर्ष 2012-13 से हर वर्ष विश्वविद्यालयों के लिए बजट का प्रावधान हो रहा है, लेकिन विवि योजना के क्रियान्वयन में विफल हैं. चालू वित्तीय वर्ष में भी विभिन्न विवि को 130.9 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं.
एक तरफ दी गयी राशि का उपयोग नहीं हो पा रहा और दूसरी ओर विभिन्न अंगीभूत कॉलेजों की स्थिति दयनीय हो गयी है. प्रभात खबर इन दिनों राजधानी के कॉलेजों का हाल प्रकाशित कर रहा है. इससे भी यह बात पुख्ता हो रही है. रांची विवि सहित विनोबा भावे विवि हजारीबाग, नीलांबर-पीतांबर विवि डालटनगंज, कोल्हान विवि चाईबासा तथा सिदो-कान्हू विवि दुमका में शिक्षक, कैंपस व भवन जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
इनके विकास संबंधी योजनाओं की मॉनीटरिंग नहीं हो रही है. मानव संसाधन विभाग व उच्च शिक्षा निदेशालय ने विश्वविद्यालय को पैसे दे दिये हैं, लेकिन कार्य हो रहा है कि नहीं इसे देखने वाला कोई नहीं है. उच्च शिक्षा निदेशालय तथा विवि प्रशासन दोनों बेपरवाह हैं. जानकारों के अनुसार कुलाधिपति के हस्तक्षेप से ही स्थिति में सुधार संभव है.
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