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बड़ी नक्सली घटनाओं के अनुसंधान की मॉनीटरिंग बंद
रांची : बड़े आपराधिक व नक्सली घटनाओं में शामिल नक्सलियों और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए सरकार के निर्देश पर ऐसे मामलों की मॉनीटरिंग का काम शुरू कराया गया था. मुख्य सचिव राजीव गौबा के निर्देश पर एडीजी अभियान के नेतृत्व में फरवरी माह में यह काम शुरू हुआ था. ऐसी घटनाओं की मॉनीटरिंग […]
रांची : बड़े आपराधिक व नक्सली घटनाओं में शामिल नक्सलियों और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए सरकार के निर्देश पर ऐसे मामलों की मॉनीटरिंग का काम शुरू कराया गया था.
मुख्य सचिव राजीव गौबा के निर्देश पर एडीजी अभियान के नेतृत्व में फरवरी माह में यह काम शुरू हुआ था. ऐसी घटनाओं की मॉनीटरिंग के लिए एसटीएफ को सीआइडी की तरह अनुसंधान का अधिकार दिया गया था. बेहतर अनुसंधान हो, साक्ष्यों सही तरीके से एकत्र किये जायें, गवाही समय पर हो, ताकि अदालत में पुलिस सही तरीके से पक्ष रख सके और बड़े उग्रवादियों और अपराधियों को सजा दिलायी जा सके.
13 एसआइटी व एक सेंट्रल एसआइटी: अनुसंधान में बेहतर रिजल्ट आये, इसके लिए डीजीपी ने रांची, खूंटी, गुमला, पलामू, गढ़वा, लातेहार, चाईबासा, जमशेदपुर, हजारीबाग, चतरा, बोकारो व दुमका में 13 स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया था. इन टीमों का नेतृत्व डीएसपी रैंक के अधिकारी को करना था. रांची में सेंट्रल एसआइटी का गठन हुआ था. एसआइटी का प्रमुख एसपी साकेत कुमार सिंह को बनाया गया था. एसआइटी और सेंट्रल एसआइटी एडीजी अभियान को रिपोर्ट करती थी. इन टीमों का काम था कि बड़े मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने से पहले जांच के बिंदुओं को देखती.
ठीक से नहीं हो रहा है अनुसंधान
नक्सली-उग्रवादी मामलों के अनुसंधान पर नजर रखने का काम जिला स्तर पर ही किया जाता है. नक्सली जोनल कमांडर नथुनी मिस्त्री, लोहरदगा के पूर्व एसपी अजय कुमार सिंह की हत्या, बुंडू के तत्कालीन एसडीपीओ प्रमोद कुमार समेत दर्जनों ऐसे मामलों में पुलिस का अनुसंधान सही तरीके से नहीं हुआ. इन मामलों के अनुसंधान में शामिल रहे अधिकारी अदालत में नहीं टिक पाये.
इस कारण आरोपियों को अदालत से राहत मिल गयी. इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि मामलों का अनुसंधान ठीक से नहीं हुआ था, साक्ष्यों को कमजोर तरीके से जुटाया गया था. बदतर स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस के अधिकारी अपनी उन बातों को ही सही तरीके से अदालत में नहीं दुहरा पायी, जो उन्होंने केस डायरी में गवाह के रूप में कहा था. कई मामलों में संबंधित अधिकारी गवाही देने की नहीं पहुंचे.
शुरू हुई थी 16 मामलों की जांच: डीजीपी डीके पांडेय के आदेश पर एसआइटी ने राज्य के विभिन्न जिलों में दर्ज 16 महत्वपूर्ण मामलों की जांच शुरू की थी, लेकिन जांच शुरू होने के कुछ दिन बाद ही जांच का काम रोक दिया गया. यह कहा गया कि पुराने मामले हैं, इसलिए इसकी जिला पुलिस ही करे.
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