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नयी योजनाओं को स्वीकृति नहीं, पुरानी भी लटकीं

ग्रामीण कार्य विभाग का कामकाज ठप मनोज लाल रांची : ग्रामीण कार्य विभाग का कामकाज लगभग ठप हो गया है. विभाग में नया कुछ नहीं हो रहा है. नयी योजनाओं को तो स्वीकृति नहीं ही मिली है, पुरानी योजनाएं भी पूरी नहीं हो पा रही है. सारी पुरानी योजनाएं लटकी हुई हैं. राज्य संपोषित की […]

ग्रामीण कार्य विभाग का कामकाज ठप
मनोज लाल
रांची : ग्रामीण कार्य विभाग का कामकाज लगभग ठप हो गया है. विभाग में नया कुछ नहीं हो रहा है. नयी योजनाओं को तो स्वीकृति नहीं ही मिली है, पुरानी योजनाएं भी पूरी नहीं हो पा रही है. सारी पुरानी योजनाएं लटकी हुई हैं.
राज्य संपोषित की नयी योजनाओं पर तो काम आगे नहीं बढ़ रहा है, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का भी हाल बुरा होता जा रहा है. वहीं पुल योजनाओं पर भी निर्णय नहीं हो पा रहा है. कुल मिला कर विभाग का सारा कामकाज ठप है.
72 को किया डिबार, पर पूरी नहीं हुई योजनाएं: विभाग ने दो माह पूर्व कुल 72 ठेकेदारों को डिबार किया था. इसके बाद से आज तक इन ठेकेदारों से संबंधित योजनाओं में से एक भी योजना पूरी नहीं हुई. वहीं इन ठेकेदारों के पास जो योजनाएं चालू थीं, वे भी लटक गयीं. इधर कई योजनाओं का टेंडर भी रद्द करना पड़ा, क्योंकि इन ठेकेदारों ने टेंडर भरा था.
लटकी हुई 426 योजनाओं पर भी निर्णय नहीं: सड़कों की लंबित करीब 426 योजनाओं पर निर्णय नहीं हो सका. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत इन योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा था, लेकिन उग्रवाद, वन भूमि, भू-अजर्न आदि कारणों से योजनाएं लटकी रह गयीं. आठ साल से लेकर दो साल पहले तक की योजनाएं लटकी हुई हैं. ठेकेदारों ने काम छोड़ दिया है. अब इन योजनाओं को पूरा कराने के लिए सरकार को कोई फैसला लेना होगा, लेकिन इस पर भी कुछ नहीं हो सका है. ग्रामीणों को उसी अधूरी व टूटी सड़कों से आना-जाना पड़ रहा है.
स्वीकृति की आस में पड़ी हैं 800 किमी से ज्यादा की योजनाएं: इधर, विभाग के पास 800 किमी से अधिक की योजनाएं स्वीकृति की आस में पड़ी हुई हैं. वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए सारे विधायको ने 10-10 किमी के हिसाब से सड़कों की अनुशंसा विभाग को भेजी है.
लटकी हुई हैं पुल योजनाएं भी: इधर, मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना की पुल योजनाएं भी लटकी हुई हैं. पूर्व विधायकों की अनुशंसा वाले 33 पुल योजनाओं को तो स्वीकृति दी गयी, लेकिन नयी योजनाओं को भी स्वीकृति नहीं मिली है. नतीजन सारी नयी पुल योजनाएं लटकी हुई हैं.
केंद्रीय एजेंसियों का भी फंसा हुआ है मामला
केंद्रीय एजेंसियों का मामला भी फंसा हुआ है. राज्य में चार केंद्रीय एजेंसी एनपीसीसी, एनबीसीसी, एचएससीएल व इरकॉन पीएमजीएसवाइ सड़कों पर काम कर रही हैं. फिलहाल इन योजनाओं की प्रगति भी ठीक नहीं है.
एजेंसियों की ओर से इसके लिए राशि की कमी बतायी जा रही है. यह भी कहा जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर से केंद्र से ठीक से लाइजनिंग नहीं होने के कारण झारखंड को पैसा कम मिला है. नतीजन उनके समक्ष भी पैसे की कमी हो गयी है.
पीएमजीएसवाइ का रुक गया है काम
पैसे की कमी के कारण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का काम रुक गया है. अधिकतर जगह काम नहीं हो रहे हैं. ठेकेदारों ने काम करने से हाथ खड़ा कर दिया है, क्योंकि विभाग इन योजनाओं की राशि नहीं दे पा रहा है. विभाग का कहना है कि केंद्र ही राशि नहीं दे रही है. कुल मिला कर योजनाओं का हश्र बुरा है.

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