एजेंसियां, नयी दिल्लीकुछ व्यक्तियों और संगठनों की ओर से मिले कई प्रतिवेदनों का हवाला देते हुए सरकार ने विवाह कानूनों में संशोधन से संबंधित विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इस संशोधन को महिलाओं के अधिक अनुकूल बताया गया था. विधि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें कुछ लोगों और संगठनों की ओर से विवाह कानून (संशोधन) विधेयक में प्रावधानों का विरोध करते हुए कई प्रतिवेदन मिले हैं. मंत्रालय ने विधेयक पर कैबिनेट नोट का मसौदा अंतर-मंत्रालयी विचार के लिए सितंबर, 2014 में बांटा था. परंतु प्रतिवेदनों के आधार पर मंत्रालय ने कोई अंतिम निर्णय करने की बजाय मामले की पड़ताल का फैसला किया है. मंत्री ने की पुष्टिइस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए विधि मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा, ‘कुछ समय के लिए हमने इसे स्थगित किया है. इसे खारिज नहीं किया गया है.’ प्रतिविदेनों का हवाला देते हुए गौड़ा ने कहा, ‘इन सभी मामलों का सत्यापन किया जायेगा. लोगों का एक धड़ा है जो कहता है कि यह मौजूदा पारिवारिक व्यवस्था के लिए नुकसानदेह होगा.’ क्या है मसौदामसौदे के अनुसार विवाह कानून अधिक महिला अनुकूल हो जायेगा तथा तलाक की स्थिति में पति की अचल संपत्ति से पत्नी और बच्चों को पर्याप्त हिस्सा दिये जाने का भी प्रावधान है. विधि मंत्रालय ने प्रस्तावित किया कि अगर पति और पत्नी में से कोई भी आपसी रजामंदी से दूसरा ‘साझा आवेदन’ दायर नहीं करता तो फिर तीन साल के बाद अदालत अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए तलाक को स्वीकार्यता देने के लिए स्वतंत्र है.
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सरकार ने विवाह कानून में संशोधन का इरादा टाला
एजेंसियां, नयी दिल्लीकुछ व्यक्तियों और संगठनों की ओर से मिले कई प्रतिवेदनों का हवाला देते हुए सरकार ने विवाह कानूनों में संशोधन से संबंधित विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इस संशोधन को महिलाओं के अधिक अनुकूल बताया गया था. विधि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें कुछ लोगों और संगठनों की […]
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