शिकायतकर्ता विपिन बिहारी सिंह ने लोकायुक्त के समक्ष मामला दर्ज कराया है. कहा गया कि असिस्टेंट प्रोफेसर सह जूनियर साइंटिस्ट सिल्वीकल्चर के पद की अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता एमएससी (फॉरेस्ट्री) सिल्वीकल्चर की डिग्री है. नियुक्त किये गये श्री चक्रवर्ती के पास एमएससी (फॉरेस्ट्री) सिल्वीकल्चर की डिग्री नहीं है. इस योग्यता के अभाव में स्क्रीनिंग कमेटी ने कई अभ्यर्थियों को साक्षात्कार से वंचित कर दिया था. कमेटी ने डॉ चक्रवर्ती को भी शुरू में साक्षात्कार में शामिल होने से वंचित कर दिया था.
बाद में विवि प्रशासन की मदद से साक्षात्कार के लिए निर्गत अटेंडेंस शीट पर हाथ से लिखवा कर एके चक्रवर्ती का नाम जोड़ा गया. एक अभ्यर्थी विश्वनाथ कुमार सिंह के चयन के अनुशंसावाले पैनल को भी बदल दिया गया. फरजी तरीके से डॉ एके चक्रवर्ती के चयन की अनुशंसा का पैनल तैयार किया गया. जिस पैनल में श्री चक्रवर्ती को चयनित दिखाया गया है, उसकी कार्यवाही व अनुशंसावाले पृष्ठ पर वानिकी संकाय के अधिष्ठाता और साक्षात्कार के लिए बुलाये गये विषय विशेषज्ञ के हस्ताक्षर भी अंकित नहीं है, जबकि इसी विज्ञापन के दूसरे एमएससी (फॉरेस्ट्री) फॉरेस्ट मैनेजमेंट के लिए कराये गये साक्षात्कार से संबंधित पैनल में साक्षात्कार समिति के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर अंकित हैं. शिकायतकर्ता ने यह भी कहा है कि सूचना के अधिकार कानून के तहत प्राप्त हुई सूचना से इस नियुक्ति में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. उन्होंने इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराने की गुहार लगायी है.