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झारखंड का डिलिवरी सिस्टम ध्वस्त

विधानसभा की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में बोले केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डिलिवरी सिस्टम में सुधार किये बिना जनता को नहीं मिल पायेंगी बुनियादी सुविधाएं रांची : केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि विभिन्न सेवाओं और जन कल्याणकारी योजनाओं का डिलिवरी सिस्टम झारखंड में ध्वस्त हो चुका […]

विधानसभा की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में बोले केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री
डिलिवरी सिस्टम में सुधार किये बिना जनता को नहीं मिल पायेंगी बुनियादी सुविधाएं
रांची : केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि विभिन्न सेवाओं और जन कल्याणकारी योजनाओं का डिलिवरी सिस्टम झारखंड में ध्वस्त हो चुका है. हमें डिलिवरी सिस्टम को मजबूत बनाना है, ताकि जनता को सीधे लाभ मिल पाये. जनता बुनियादी सुविधाएं बिजली, पानी, सड़क की मांग कर रही है. क्या हम उन्हें यह सुविधाएं दे पा रहे हैं? डिलिवरी सिस्टम में सुधार किये बिना हम ऐसा नहीं कर सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा : केंद्र सरकार ने पहल की है. जन-धन, जीवन सुरक्षा योजना को आधार कार्ड से जोड़ कर यह प्रयास किया जा रहा है कि लाभुकों को बिचौलिये और रिश्वत देने से मुक्ति मिल सके. उनके हक की राशि सीधे उनके बैंक खाते में जाये. ठेले वाले का भी गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) नंबर देकर बैक एकाउंट खुलवाने को लेकर विचार किया जा रहा है.
इसे धरातल पर उतारने की योजना बनायी जा रही है. जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) सिस्टम में सुधार को लेकर भी केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. अगर आम सहमति बन जाती है तो लोगों को अनाज के बजाय राशि बैंक खाते में दी जायेगी. इससे भ्रष्टाचार समाप्त होगा. समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचेगा.
श्री सिन्हा रविवार को एटीआइ सभागार में विधानसभा की ओर से आयोजित कार्यशाला के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने लोक वित्त प्रबंधन विषय पर अपने विचार रखे. समापन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव, संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय, एटीआइ के महानिदेशक सुधीर प्रसाद व कई अन्य विधायक उपस्थित थे.
अंत्योदय के सिद्धांत पर काम कर रही है सरकार : लोक वित्त प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि एनडीए सरकार का लक्ष्य है- सबका साथ, सबका विकास. केंद्र सरकार अंत्योदय के सिद्धांत पर काम कर रही है. अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने को लेकर योजनाएं बनायी जा रही हैं.
उस पर काम किया जा रहा है. मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सीमम गवर्नेस पर सरकार काम कर रही है, ताकि लोगों को छोटे-छोटे काम में रिश्वत नहीं देनी पड़े. हर व्यक्ति यह कह सके कि उसे लाभ मिला है. राज्यों को मजबूत करने के लिए कोऑपरेटिव फेडरलिज्म की पद्धति अपनायी जा रही है. इससे राज्यों में शिक्षा, कानून व्यवस्था, गली-नाली की समस्याओं के निदान को लेकर काम किया जा सकता है.
राज्यों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की पहल : श्री सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को आर्थिक रूप से मजबूत करने को लेकर को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म की पद्धति अपनायी है. अब तक आइएपी, बीआरजीएफ योजनाएं केंद्र के पास थी, जिसे राज्य सरकारों को सौंप दिया गया है.
कोयले नीलामी की राशि राज्य सरकारों को दी जा रही है. झारखंड का बजट 55 हजार करोड़ रुपये का है. वहीं टैक्स कलेक्शन की राशि सिर्फ 20 हजार करोड़ रुपये है. जीएसटी आने से टैक्स कलेक्शन का स्वरूप बदल जायेगा. इससे राज्य सरकार को और टैक्स मिलेगा. अब तक सर्विस टैक्स की राशि केंद्र को मिलती थी. इसका भी हिस्सा राज्यों को मिलेगा. इसे अप्रैल 2016 से लागू करने की योजना है.
तीन माह में गति पकड़ लेगी देश की इकोनॉमी
केंद्र सरकार की आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि मई 2014 में एनडीए की सरकार बनी. उस वक्त काफी दयनीय स्थिति थी. पैसेंजर ट्रेन थी, जो पटरी से उतर गयी थी. एनडीए की सरकार ने इसे पटरी पर चढ़ाया. अब इसे पैसेंजर ट्रेन से राजधानी बना दिया गया है.
अब बुलेट ट्रेन की बात चल रही है. अगर हम इस साल के केंद्रीय बजट को देखें, तो बजट खर्च 18 लाख करोड़ रुपये है. वहीं कमाई सिर्फ 12.5 लाख करोड़ रुपये है. यह हमें विरासत में मिली है. कोई भी सरकार ऐसी स्थिति में चल सकती है? सरकार के पास पैसा नहीं है. विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में टैक्स बहुत कम है. टैक्स की राशि जीडीपी का 10 प्रतिशत है. चीन समेत अन्य देशों में टैक्स की राशि जीडीपी का 20 प्रतिशत है. अगर ऐसे हालात रहेंगे, तो नीतियां बनाने में बाधाएं आयेंगी. सरकार इस पर नियंत्रण कर रही है.
सरकार की इकोनॉमी तीन माह में गति पकड़ लेगी. महंगाई की दर कम हुई है. सरकार रेल, रोड, पावर सेक्टर पर खर्च कर रही है. रेलवे पर एक लाख करोड़ निवेश की योजना है. इससे टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा. इससे पहले 10 साल में 99 रेल लाइन की घोषणा हुई थी. इसमें से सिर्फ तीन ही धरातल पर उतर पायी हैं.
वित्तीय प्रबंधन चिंता का विषय : दिनेश उरांव
समारोह में अध्यक्षीय भाषण देते हुए विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने कहा कि राज्य का पहला बजट सरप्लस था. 14 साल बाद यह घाटे का बजट हो गया है. वित्तीय प्रबंधन अब चिंता का विषय बन गया है. राजनीतिक मूल्यों पर चिंतन मनन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि विधायिका और कार्यपालिका के मधुर संबंध बनाने को लेकर प्रयास किया जायेगा. अन्य राज्यों की तरह शोध और प्रशिक्षण प्रभाग की स्थापना की जायेगी.

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