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10वीं अनुसूची को समाप्त कर देना चाहिए
विधायकों के सवाल पर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने दिया जवाब, कहा रांची : लोकसभा के पूर्व महासचिव सह संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि मेरा निजी विचार है कि संविधान में संशोधन कर 10वीं अनुसूची को समाप्त कर देना चाहिए. यह बोलने की आजादी पर प्रतिबंध लगाती है. अगर बहुत जरूरी है, तो […]
विधायकों के सवाल पर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने दिया जवाब, कहा
रांची : लोकसभा के पूर्व महासचिव सह संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि मेरा निजी विचार है कि संविधान में संशोधन कर 10वीं अनुसूची को समाप्त कर देना चाहिए. यह बोलने की आजादी पर प्रतिबंध लगाती है. अगर बहुत जरूरी है, तो इसको सीमित कर देना चाहिए.
विधायक राजकुमार यादव के सवाल पर श्री कश्यप ने यह बातें कही. श्री यादव ने कहा कि 10 अनुसूची दल-बदल को बढ़ावा देती है. निजी स्वार्थ को लेकर इसका इस्तेमाल होता है. यह जनता के साथ धोखा है. इसके निर्णय लेने भी विलंब होता है? क्या इसे समय के साथ समाप्त कर देना चाहिए?
विधायक कुणाल षाड़ंगी के सवाल पर श्री कश्यप ने कहा कि वर्तमान निर्वाचन पद्धति विभाजनकारी है. लोगों को तोड़ती है. 15 प्रतिशत वोट सुनिश्चित करने लेने वालों की जीत सुनिश्चित होती है. ऐसे में निर्वाचित प्रतिनिधि शेष 85 प्रतिशत जनता की चिंता क्यों करेगा?
एक अन्य सवाल में कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में तय हुआ है कि एक वर्ष में 100 दिन का सत्र होना चाहिए. इस पर सरकार और अध्यक्ष को बैठ कर निर्णय लेना चाहिए. प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने का प्रावधान है, लेकिन पिछले 45 वर्षो में प्राइवेट मेंबर्स बिल पास नहीं हुआ है.
विधायक अनंत ओझा की ओर से पूछे गये सवाल पर श्री कश्यप ने कहा कि राजनीति में आने के उद्देश्य में बदलाव करना होगा. कम से कम पैसा कमाने और सेवा करने का भाव लाना होगा. आज लोकसभा चुनाव काफी खर्चीला हो गया है.
एक सांसद की बातचीत को आधार बनाते हुए उन्होंने कहा कि टिकट लेने के लिए पांच करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. चुनाव लड़ने में 25 से 30 करोड़ रुपये लग जाते हैं. अगर ऐसा होगा तो निर्वाचित सांसद कैसे सेवा भाव से काम करेगा. वह अपनी पूंजी निकालने और अगली बार चुनाव लड़ने के लिए 100 करोड़ की व्यवस्था करने में जुट जाता है. ऐसे में नि:स्वार्थ सेवा कैसे होगी?
विधायक विरंची नारायण की ओर से यह पूछे जाने पर क्या धन, बाहुबल पर रोक लगाने के लिए सरकारी खर्च पर चुनाव लड़ने का प्रावधान किया जा सकता है? श्री कश्यप ने कहा कि चुनाव का खर्च कम होना चाहिए. मिजोरम में अभी भी चुनाव पर कम पैसे खर्च होते हैं.
विधायक मनीष जायसवाल की ओर से यह पूछे जाने पर कि अगर विधानसभा समिति की बात सरकार नहीं मानती है, तो क्या किया जा सकता है? श्री कश्यप ने कहा कि विधानसभा समिति सरकार को सुझाव दे सकती है, आदेश नहीं. निर्णय लेने का अधिकार विधानसभा को है.
विधायक राज सिन्हा ने पूछा कि सदन में मंत्री की ओर से की गयी घोषणाएं पूरी नहीं होती है, तो विधायक क्या कर सकते हैं? श्री कश्यप ने कहा कि विधायक अपने मुद्दे को लगातर उठाते रहें.
अच्छी या खराब स्थिति यही है. विधायक शिव शंकर उरांव की ओर से यह पूछे जाने पर कि अगर कार्यपालिका विधायक की नहीं सुने तो क्या किया जा सकता है? श्री कश्यप ने कहा कि यह मंत्री के ऊपर है. मंत्री को यह नहीं भूलना चाहिए कि वे भी विधायिका के अंग हैं. मंत्री को विधायक का पक्ष लेना चाहिए न कि अफसर का.
विधायक बादल पत्रलेख के सवाल पर श्री कश्यप ने कहा कि बिल पेश होने से सात दिन पहले विधानसभा में प्रति पहुंच जानी चाहिए. नियम के तहत इसकी प्रति दो दिन पहले विधायकों को मिलनी चाहिए. ऐसा नहीं होने पर बिल को पास करने पर रोक लगायी जा सकती है.
विधायक राम कुमार पाहन की ओर से पूछे जाने पर कि वर्तमान संसदीय प्रणाली कैसी होनी चाहिए? इस पर श्री कश्यप ने चर्चिल के कथन को दोहराते हुए कहा कि लोकतंत्र सबसे खराब पद्धति है, लेकिन उससे अच्छी पद्धति अभी कोई नहीं है. विधायक अरूप चटर्जी के सवाल पर श्री कश्यप ने कहा कि विधायकों की नौकरशाहों से तुलना नहीं करनी चाहिए. गृह मंत्रलय की ओर से जारी आदेश का पालन करना उपायुक्तों का दायित्व है.
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