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जांच रिपोर्ट पर रिम्स के डॉक्टरों को भी भरोसा नहीं
राजीव पांडेय रांची : राज्य के सबसे बड़े संस्थान रिम्स की जांच रिपोर्ट पर वहां के चिकित्सकों को भी भरोसा नहीं रहता है. रिपोर्ट ऐसी होती है कि विश्वास नहीं किया जा सकता. भ्रामक रिपोर्ट होने के कारण चिकित्सकों को निजी जांच घरों से सत्यता की जांच करानी पड़ती है. क्रास जांच कराने पर रिम्स […]
राजीव पांडेय
रांची : राज्य के सबसे बड़े संस्थान रिम्स की जांच रिपोर्ट पर वहां के चिकित्सकों को भी भरोसा नहीं रहता है. रिपोर्ट ऐसी होती है कि विश्वास नहीं किया जा सकता. भ्रामक रिपोर्ट होने के कारण चिकित्सकों को निजी जांच घरों से सत्यता की जांच करानी पड़ती है. क्रास जांच कराने पर रिम्स की रिपोर्ट गलत पायी जाती है.
ऐसे कई मामले रिम्स के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के कैंसर विंग में देखने को मिले हैं. भ्रामक एवं गलत रिपोर्ट आने के कारण कई बार चिकित्सक समय पर इलाज शुरू नहीं कर पाते हैं.
मरीज का इलाज कराने के बाद दुबारा जांच करानी पड़ती है. मरीज का इलाज प्रभावित होता ही है, अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ता है. ऐसी गड़बड़ी अक्सर पैथोलॉजी जांच में पकड़ में आती है. सूत्रों की मानें तो चिकित्सक जानते हुए भी शिकायत नहीं कर पाते हैं.
हमारे यहां उच्च क्वालिटी की मशीन है, जिसका समय-समय पर कैलिब्रेशन होता है. जो रिपोर्ट मशीन से आती है, उसे दी जाती है. हमारी जानकारी में ऐसा मामला अभी तक नहीं आया है कि मरीज का 25 या 18 हिमोग्लोबीन आया हो.
डॉ त्रिलोचन सिंह
विभागाध्यक्ष पैथोलॉजी
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