फोटो 2 खेतों की मेड़ों की सुरक्षा से ही जलांे का संचय संभवखूंटी. झारखंड में जल संरक्षण जरूरी है, क्योंकि यहां बारिश का पानी ज्यादा देर तक टिकता नहीं. करीब 80 प्रतिशत बारिश का पानी खेतों से निकल कर नदियों में पहुंच जाता है. ऐसे में जलछाजन अपना कर बरबाद हो रहे पानी का उपयोग कृषि कार्य में कर सकते हैं. क्या है जलछाजन : जलछाजन एक भूजलीय इकाई है, जहां विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित होकर जल एक साझा बिंदु से प्रवाहित होता है. कैसे करें : पानी रोकने के लिए खेतों की मेड़बंदी, गहरी जुताई, लूज बोल्डर चेकडैम, गली प्लानिंग, कंटूर ट्रेंचिंग, तालाब व चेक डैम का निर्माण करें. अधिक पानी आवश्यकता वाले के बदले कम पानी आवश्यकता वाली फसल ही लगायें. तेलहन, दलहन फसल ज्यादा उगायें. पौधों को बूंद-बंूद पानी (ड्रीप एरिगेशन) से सिंचित करना चाहिए.जलछाजन के प्रमुख लाभ : बूंद-बूंद पानी का संरक्षण हो सकता है. भूगर्भ-जल स्तर को ऊपर उठाया एवं मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है. खेतों में नमी ज्यादा समय तक रहने से फसलों का उत्पादन अच्छा होगा.
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कारगर साबित होगा जलछाजन
फोटो 2 खेतों की मेड़ों की सुरक्षा से ही जलांे का संचय संभवखूंटी. झारखंड में जल संरक्षण जरूरी है, क्योंकि यहां बारिश का पानी ज्यादा देर तक टिकता नहीं. करीब 80 प्रतिशत बारिश का पानी खेतों से निकल कर नदियों में पहुंच जाता है. ऐसे में जलछाजन अपना कर बरबाद हो रहे पानी का उपयोग […]
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