टिकाऊ तकनीकी के विकास में विश्वविद्यालय लगातार प्रयासरत : कुलपति वरीय संवाददातारांची. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जॉर्ज जॉन ने कहा कि राज्य की कृषि पारिस्थितकी और किसानों की अनेकों चुनौतियों को ध्यान में रख कर टिकाऊ तकनीकी के विकास में विश्वविद्यालय लगातार प्रयासरत है. टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन एवं उत्पादकता के साथ-साथ कृषि उत्पादों से अधिक लाभ की तकनीकी को प्राथमिकता दी जा रही है. बीते साल विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए बीजों की 39 अनुशंसाएं की. कुलपति बुधवार को बीएयू में खरीफ रिसर्च काउंसिल की 35वीं बैठक में बोल रहे थे. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों के 45 प्रभेदों को विकसित किया है. कुलपति ने कहा कि पलामू, दारीसाई एवं दुमका में स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों के अपग्रेडेशन को प्राथमिकता दी जा रही है. आइआरआइ के एक्सपर्ट साइंटिस्ट डॉ यूएस सिंह ने कहा कि राज्य में गत तीन वषार्ें में वर्षापात में कमी, सुखाड़ एवं मौसम परिवर्तन के कारण धान की शुद्घ बुआई के क्षेत्रों में 50 प्रतिशत की कमी आयी है. निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आरपी सिंह रतन ने कहा कि शोध एवं प्रसार क्षेत्र में बेहतर समन्वय एवं तालमेल की आवश्यकता है. स्वागत भाषण निदेशक अनुसंधान डॉ डीके सिंह द्रोण ने किया. संचालन डॉ मनोज कुमार वर्णवाल ने तथा धन्यवाद ज्ञापन उप निदेशक अनुसंधान डॉ सोहन राम ने किया. बैठक में एनआइचएएसडी भोपाल के निदेशक, डॉ एचके प्रधान, सीआइआरसी मेरठ के निदेशक डॉ बी प्रकाश आदि मौजूद थे.
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बीएयू में रिसर्च काउंसिल की बैठक (फोटो : ट्रैक में)
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