फांसी लगानेवाले किसान को शहीद का दर्जा दिये जाने का मामलाएजेंसियां, नयी दिल्ली अप्रैल में आयोजित आम आदमी की पार्टी की रैली में कथित तौर पर फांसी लगा लेनेवाले राजस्थान के किसान को ‘शहीद’ का दर्जा दिये जाने के दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल के फैसले पर दिल्ली हाइकोर्ट ने बुधवार को सरकार से जवाब तलब किया. कैबिनेट के इस फैसले को याचिकाकर्ता वकील ने चुनौती देते हुए कहा कि आत्महत्या एक अपराध है. इसका महिमामंडन नहीं किया जा सकता. याचिकाकर्ता वकील ने कैबिनेट के फैसले की एक प्रति अदालत के समक्ष पेश की. फैसले की प्रति पेश किये जाने के बाद मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्तिा जयंत नाथ ने दिल्ली सरकारी वकील से पूछा, आपको क्या कहना है? अदालत ने ‘आप’ को झिड़की भी देते हुए कहा कि कैबिनेट के 28 अप्रैल के फैसले की प्रति भी अदालत को वकील अवध कौशिक ने उपलब्ध करवाई है न कि सरकार ने. दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए वकील रमन दुग्गल ने कहा कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी और जांच चल रही है. हालांकि, अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि उसे जो कुछ भी कहना है, शपथपत्र में कहे. साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दो सितंबर की तिथि तय कर दी. यह घटना 22 अप्रैल, 2015 को ‘आप’ की उस रैली के दौरान हुई थी, जिसका आयोजन भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में किया गया था. इस रैली के दौरान राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह कल्याणवंत ने रैली के आयोजन स्थल जंतर मंतर पर एक पेड़ पर फांसी लगा ली थी.
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हाइकोर्ट ने मांगा दिल्ली सरकार से जवाब
फांसी लगानेवाले किसान को शहीद का दर्जा दिये जाने का मामलाएजेंसियां, नयी दिल्ली अप्रैल में आयोजित आम आदमी की पार्टी की रैली में कथित तौर पर फांसी लगा लेनेवाले राजस्थान के किसान को ‘शहीद’ का दर्जा दिये जाने के दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल के फैसले पर दिल्ली हाइकोर्ट ने बुधवार को सरकार से जवाब तलब […]
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