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लेबर सेस के करोड़ों रुपये चार साल से निगम में जमा

श्रमिकों के कल्याण के लिए वसूली गयी राशि श्रम विभाग को नहीं मिली निर्माण क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों के कल्याण पर खर्च होनी है राशि रांची : रांची नगर निगम द्वारा श्रमिकों के कल्याण के मद में वसूली गयी राशि श्रम विभाग को नहीं भेजी जा रही है. पिछले चार साल से श्रम विभाग इस […]

श्रमिकों के कल्याण के लिए वसूली गयी राशि श्रम विभाग को नहीं मिली
निर्माण क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों के कल्याण पर खर्च होनी है राशि
रांची : रांची नगर निगम द्वारा श्रमिकों के कल्याण के मद में वसूली गयी राशि श्रम विभाग को नहीं भेजी जा रही है. पिछले चार साल से श्रम विभाग इस राशि की मांग करता रहा है. जानकारी के अनुसार लगभग 12 करोड़ रुपये इस मद में निगम के पास जमा है, लेकिन इसका सही आंकड़ा निगम के पास नहीं है. वहीं, भवन के नक्शे के साथ ही ड्रेन बनाने के लिए भी निगम बिल्डिरों से एक मुश्त राशि वसूलता है. इस मद में भी लगभग छह करोड़ रुपये निगम के पास जमा है. ये पैसे भी खर्च नहीं किये गये हैं.
लगता है प्रोजेक्ट का एक प्रतिशत शुल्क : सरकार ने मजदूरों के कल्याण को लेकर बिल्डिरों द्वारा पास कराये जा रहे हर नक्शे पर लेबर सेस लगाया है. झारखंड भवन व अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण निधि के नाम से यह राशि ली जा रही है.
इस राशि का उपयोग निर्माण क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों के कल्याण में किया जाना है. रांची नगर निगम द्वारा प्रोजेक्ट लागत की एक प्रतिशत राशि लेबर सेस के रूप में वसूली जा रही है. 2011 से यह नियम लागू किया गया है. यह राशि तीन किस्तों में ली जानी थी, लेकिन निगम द्वारा एकमुश्त ही ले ली जा रही है.
ड्रेन की राशि नहीं की जा रही है खर्च : निगम द्वारा भवन से निकलनेवाली नाली (ड्रेन) को सड़क के ड्रेन से जोड़ने के लिए शुल्क का प्रावधान किया गया है. यह औसतन डेढ़ लाख रुपये है. नक्शे पास करते समय यह राशि भी वसूल ली जाती है. इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाये, तो पूरे शहर में बने भवनों के ड्रेन को सड़क के ड्रेन से नहीं जोड़ा गया है.
श्रम विभाग ने निगम से मांगी राशि : लेबर सेस की राशि को लेकर श्रम विभाग ने समय-समय पर नगर निगम को पत्र लिखा है, लेकिन निगम द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. पिछले माह 26 मई को भी श्रमायुक्त ने रांची नगर निगम के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिख कर इस मद की राशि को निधि के बैंक खाते में जमा कराने का आग्रह किया. पत्र में कहा गया है कि इस राशि के नाम पर निगम द्वारा काफी ब्याज भी अजिर्त किया गया है.
30 दिनों में राशि जमा नहीं करने पर भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार उपकर नियमावली के नियम पांच का उल्लंघन बताया गया है.
मजदूरों की योजानाओं पर खर्च होते पैसे : इस मद की राशि को श्रमिकों के मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति, मजदूरों की चिकित्सा, प्रशिक्षण, पेंशन, बीमा, विवाह, नि:शक्तता आदि पर खर्च किया जाना है. कर्मकार कल्याण बोर्ड ने निर्माण क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की भलाई के लिए 19 योजनाएं शुरू की हैं.
सेस की राशि से नहीं हो रहा मजदूरों का कल्याण
रांची : भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के नाम से वसूली जा रही सेस की राशि का खर्च मजदूरों के कल्याण में नहीं किया जा रहा है. सेस राशि के अंतर्गत मजदूरों के कल्याणार्थ योजनाएं चलायी जानी है. झारखंड में सेस की राशि में से पिछले वर्ष 30 करोड़ की राशि खर्च करने का दावा किया गया है. सेस की राशि से बीड़ी वर्कर समेत अन्य निबंधित मजदूरों का बीमा, प्रशिक्षण कार्य और अन्य कार्य कराया जाना जरूरी है.
आंकड़ों के अनुसार, देश के सभी राज्यों से 16 हजार करोड़ से अधिक की राशि सेस के रूप में इकट्ठा की गयी है. इसमें से अब तक चार हजार करोड़ रुपये ही खर्च किये गये हैं. राज्य सरकारों को सभी तरह के निर्माण कार्य के तहत एक प्रतिशत सेस की वसूली करने का लक्ष्य दिया गया है.

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