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सादगी की प्रतिमूर्ति थे निरंजन महतो

रांचीः उच्च विद्यालय नवाडीह की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्व निरंजन महतो सादगी एवं सरलता के प्रतिमूर्ति थे. समाज सेवा उनके जीवन का पर्याय था. ग्रामीण लोगों को शिक्षित करने के प्रयास में जुटे रहते थे. स्व. निरंजन महतो का जन्म 29 सितंबर 1938 ई. को रांची जिलान्तर्गत तमाड़ प्रखंड के जानुमपिड़ी पंचायत […]

रांचीः उच्च विद्यालय नवाडीह की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्व निरंजन महतो सादगी एवं सरलता के प्रतिमूर्ति थे. समाज सेवा उनके जीवन का पर्याय था. ग्रामीण लोगों को शिक्षित करने के प्रयास में जुटे रहते थे. स्व. निरंजन महतो का जन्म 29 सितंबर 1938 ई. को रांची जिलान्तर्गत तमाड़ प्रखंड के जानुमपिड़ी पंचायत के पेड़ाइडीह गांव में हुआ था.

उनकी माता का नाम पालो देवी तथा पिता का नाम राधा मोहन महतो था. दोनों ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे. निरंजन महतो की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई थी. उन्होंने रांची विवि से 1963 में स्नातकोत्तर और 1965 में बीएड की परीक्षा की. एक वर्ष शिक्षण कार्य करने के पश्चात तमाड़ नवाडीह में प्रतिष्ठित अधिवक्ता गोविंद चंद्र मेहता के आग्रह पर 27 जनवरी 1967 को प्रथम प्रधानाध्यापक के रूप में उच्च विद्यालय नवाडीह में योगदान दिये. अनवरत 10 वर्ष तक अवैतनिक रह कर अथक परिश्रम से ग्रामीणों के सहयोग से पांच एकड़ सरकारी जमीन पटना के राजस्व विभाग द्वारा विद्यालय के नाम कराये.

उनके प्रयास से 29 दिसंबर 1973 को उच्च विद्यालय नवाडीह को स्थापना अनुमति मिली. उच्च विद्यालय नवाडीह की स्थापना से प्रस्वीकृति तक के मुकाम तक पहुंचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. जब तक यह उच्च विद्यालय रहेगा स्व. निरंजन महतो का नाम और उनका अथक प्रयास याद रहेगा. उनकी मृत्यु 16 अगस्त 2013 को प्रात: हृदयगति रुकने से हुई.

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